भारत के पहले डेंगू टीके के तीसरे चरण के परीक्षण का नामांकन अक्टूबर तक पूरा होगा : आईसीएमआर

वर्तमान में भारत में डेंगू का लाइसेंस प्राप्त टीका उपलब्ध नहीं
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सांकेतिक छवि
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नयी दिल्ली : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विज्ञानियों ने कहा है कि पैनेशिया बायोटेक द्वारा विकसित डेंगू के स्वदेशी टीके ‘डेंगीऑल’ के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में लगभग 10,500 प्रतिभागियों का नामांकन भारत के 20 केंद्रों पर अक्टूबर तक पूरा होने की संभावना है। अब तक पुणे, चेन्नै, कोलकाता, दिल्ली और भुवनेश्वर सहित अन्य स्थानों पर विभिन्न केंद्रों में 8,000 प्रतिभागियों को आईसीएमआर और पैनेशिया बायोटेक द्वारा प्रायोजित परीक्षण के तहत या तो टीका या प्लेसिबो दिया जा चुका है। वर्तमान में भारत में डेंगू के खिलाफ कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त टीका उपलब्ध नहीं है।

तीन संस्थान कर रहे परीक्षण का नेतृत्व

इस परीक्षण का नेतृत्व आईसीएमआर-राष्ट्रीय ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी एवं एड्स अनुसंधान संस्थान-पुणे, राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (एनआईई)-चेन्नै और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान-पुणे द्वारा किया जा रहा है। एनआईई के निदेशक डा. मनोज मुरहेकर ने कहा कि पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के परिणामों में एक-खुराक वाले टीके के लिए कोई सुरक्षा चिंता दिखाई नहीं दी है। उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के परीक्षण में नामांकित प्रतिभागियों पर दो साल तक नजर रखी जायेगी। इस परीक्षण में इस टेट्रावैलेंट डेंगू टीके की प्रभावकारिता का मूल्यांकन किया जायेगा। टीके की प्रभावकारिता, सुरक्षा और दीर्घकालिक प्रतिरक्षा संबंधी मूल्यांकन करने के लिए बहुकेंद्रीय, ‘डबल-ब्लाइंड’, औचक, प्लेसीबो-नियंत्रित तीसरे चरण का परीक्षण पिछले साल अगस्त में शुरू किया गया था।

पहले प्रतिभागी पीजीआईएमएस, रोहतक में लगा था टीका

इस परीक्षण में पहले प्रतिभागी को पिछले वर्ष पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआईएमएस), रोहतक में टीका लगाया गया था। सभी चार सीरोटाइप के लिए अच्छी प्रभावकारिता हासिल करने की आवश्यकता के कारण एक प्रभावी टीके का विकास जटिल है। डा. मुरहेकर ने बताया कि डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप होते हैं, जिनमें एक-दूसरे के प्रति कम ‘क्रॉस-प्रोटेक्शन’ होता है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति बार-बार संक्रमण का अनुभव कर सकते हैं। भारत में डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप कई क्षेत्रों में प्रसारित या सह-प्रसारित होते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले एक बयान में कहा था कि ‘टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन’ (टीवी003/टीवी005), जिसे मूल रूप से अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) द्वारा विकसित किया गया था, ने ब्राज़ील में नैदानिक परीक्षणों में आशाजनक परिणाम दिखाये हैं।

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