भारत-अमेरिका में 10 साल का रक्षा समझौता

ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई राजनाथ-हेगसेथ वार्ता
indi-us defense deal
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने किये समझौते पर दस्तखत
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- सैन्य सहयोग बढ़े, मिलकर ट्रेनिंग और सेनाभ्यास करेंगे

- दोनों देश मिलकर हथियार, रक्षा उपकरण और नयी तकनीक बनायेंगे

- अमेरिका भारत से अपनी कुछ एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी साझा करेगा

नयी दिल्ली/कुआलालंपुर : भारत और अमेरिका ने शुक्रवार को एक नया 10 साल का रक्षा (डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट) समझौता किया है। इस समझौते के तहत दोनों देश मिलकर न केवल अपनी सेनाओं, रक्षा उद्योग और तकनीकी सहयोग को और मजबूत करेंगे बल्कि अमेरिका, भारत से एडवांस टेक्नोलॉजी भी साझा करेगा।

समझौते की टाइमिंग

यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। समझौता कुआलालंपुर (मलेशिया) में हुआ, जहां दोनों देश ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) में शामिल थे। इस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने दस्तखत किये। गौरतलब है कि अमेरिका ने गत गुरुवार को ही भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह पर प्रतिबंधों से छह महीने के लिए रियायत दी है जबकि पहले उसने कहा था कि इस बंदरगाह को चलाने, पैसे देने या उससे जुड़े किसी काम में शामिल कंपनियों पर जुर्माना लगायेगा। यह बदरगाह 10 साल के लिए भारत के पास लीज पर है।

‘हमारी साझेदारी मजबूत होगी’

राजनाथ सिंह ने हेगसेथ के साथ बातचीत के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह समझौता हमारे पहले से मजबूत रक्षा सहयोग में एक नये युग की शुरुआत करेगा। और भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में नीति दिशा प्रदान करेगा। हमारी साझेदारी मुक्त, खुला और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सिंह ने कहा कि इससे भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को भी बल मिलेगा। हेगसेथ ने भी ‘एक्स’ पर लिखा अमेरिका-भारत के बीच समन्वय, जानकारी साझा करने और तकनीकी सहयोग का नया दौर शुरू हो रहा है। यह रिश्ता दुनिया के सबसे अहम रिश्तों में से एक है। दोनों देश एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और इंडो-पेसिफिक इलाके में सुरक्षा व खुशहाली चाहते हैं।

जयशंकर ने हाल में रूबियो से बात की थी

कुछ दिन पहले विदेशमंत्री एस जयशंकर भी कुआलालंपुर में थे। उन्होंने अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रूबियो से मुलाकात की। दोनों ने भारत-अमेरिका संबंधों और दुनिया के बड़े मुद्दों पर बात की। तब ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने कहा था कि ऊर्जा व्यापार पर दबाव बढ़ रहा है, बाजार में गड़बड़ी आ रही है। सिद्धांत चुनिंदा तरीके से लागू किये जा रहे हैं।

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