भारत 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा : राजनाथ

भारत का रक्षा निर्यात इस वर्ष 30,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद
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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ‘डिफेंस कन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए
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नयी दिल्ली : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि इस साल भारत का रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है और 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के सैन्य उपकरणों के निर्माण का लक्ष्य है। रक्षामंत्री ने उम्मीद जतायी कि भारत का रक्षा निर्यात इस वर्ष 30,000 करोड़ रुपये और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा।

आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा भारत

रक्षामंत्री ने एक समाचार पत्रिका द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि भारत रक्षा उपकरणों के आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और एक रक्षा औद्योगिक परिवेशी तंत्र बनायेगा, जो न केवल देश की जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि रक्षा निर्यात की क्षमता को भी मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत न केवल विकसित देश के रूप में उभरेगा बल्कि हमारी सैन्य शक्ति भी विश्व में शीर्ष पर होगी।

रक्षा उत्पादन 1.60 लाख होगा करोड़ के पार

इस वर्ष रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाना चाहिए जबकि हमारा लक्ष्य 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उपकरण तैयार करना है। रक्षामंत्री ने कहा कि जहां भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताएं राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता पर केंद्रित हैं, वहीं वे विनिर्माण को वैश्विक ‘आपूर्ति बाधाओं’ से भी बचा रही हैं।

भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का उद्देश्य विवादों को भड़काना नहीं

सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता का उद्देश्य विवादों और संघर्षों को भड़काना नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा क्षमताएं क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए एक विश्वसनीय प्रतिरोधक शक्ति की तरह हैं और शांति तभी संभव है जब भारत मजबूत बना रहे। सिंह ने स्वदेशीकरण, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर तथा भविष्य के लिए तैयार’ भारत के लक्ष्य के लिए एक आकर्षक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत न केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा परिवेशी तंत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी अपनी स्थिति बना रहा है।

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