दलाई लामा ने अपने ‘पुनर्जन्म की प्रक्रिया’ से चीन को बाहर निकाला
धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) : तिब्बती के निर्वासित आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि दकि 600 साल पुरानी ‘दलाई लामा की संस्था’ उनके निधन के बाद भी जारी रहेगी और केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ के पास उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही उन्होंने अगले दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया से चीन को बाहर करते हुए इस अनिश्चितता को समाप्त कर दिया कि उनके बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं।‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ का गठन खुद दलाई लामा ने 2015 में किया था।
भारत की होगी कड़ी कूटनीतिक परीक्षा!
दलाई लामा के इस फैसले से उनके बौद्ध अनुयायियों पर गहरा प्रभाव पड़ना तय है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में धार्मिक नेताओं की एक बैठक की शुरुआत में एक वीडियो प्रसारण में कहा कि मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। तिब्बत के लोगों की धार्मिक मान्यता है कि मौजूदा दलाई लामा, दलाई लामा के 14वें अवतार हैं। अगले दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया, मौजूदा दलाई लामा के निधन के बाद शुरू होगा। उनकी इस घोषणा का दूरगामी असर भारत़-चीन संबधों पर भी पड़ना लगभग तय है क्योंकि दलाई लामा भारत में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। दूसरी ओर चीन अगला दलाई लामा अपनी मर्जी से चाहता है। आने वाले दिनों में इस मसले पर भारत को कड़ी कूटनीतिक परीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।
90वें जन्मदिन से चार दिन पहले जारी किया गया दलाई लामा का बयान
चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो, जिन्हें ल्हामा थोंडुप भी कहा जाता है, ने गत 21 मई को बयान दिया था, जो उनके कार्यालय ने उनके 90वें जन्मदिन से चार दिन पहले बुधवार को जारी किया गया। तिब्बती भाषा में उनके भाषण का 5.57 मिनट का एक वीडियो भी जारी किया गया। इससे पहले दलाई लामा ने कहा था कि तिब्बत की सबसे पवित्र परंपरा को समाप्त किया जा सकता है या उनका उत्तराधिकारी किसी महिला को या चीन के बाहर जन्मे किसी व्यक्ति को चुना जा सकता है। हालांकि ल्हामा थोंडुप को अलगाववादी मानने वाले चीन ने कहा है कि बीजिंग सदियों पुरानी परंपरा के माध्यम से उनके उत्तराधिकारी की पहचान को मंजूरी देगा।
जन्मदिन का जश्न 30 जून को मुख्य मंदिर सुगलागखांग में शुरू
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का जश्न 30 जून को धर्मशाला के पास मैकलॉडगंज के मुख्य मंदिर सुगलागखांग में शुरू हुआ। यह अवसर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने 2011 में कहा था कि वे 90 वर्ष की आयु में फैसला करेंगे कि संस्था जारी रहेगी या नहीं। दलाई लामा ने 24 सितंबर, 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक के दौरान कहा था कि मैंने 1969 में ही स्पष्ट कर दिया था कि संबंधित लोगों को यह तय करना चाहिए कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं। उन्होंने कहा था कि जब वे 90 वर्ष के हो जायेंगे, तो वह तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य लोगों से परामर्श करेंगे ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं।
