मंदारिन संतरे की खेती के बारे में किसानों को किया जाएगा जागरूक

मंदारिन संतरे की खेती के बारे में किसानों को किया जाएगा जागरूक
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सन्मार्ग संवाददाता

मिरिक : दार्जिलिंग पहाड़ के विभिन्न स्थानों में से सबसे अधिक मात्रा में मंदारिन संतरे की खेती मिरिक क्षेत्र में की जाती है। यहां उत्पादित संतरों की गुणवत्ता, सुगंध, स्वाद और रंग का विशेष महत्व और मांग है। हालांकि संतरा उत्पादक संतरे का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हैं। इसके पीछे मुख्य कारण पारंपरिक खेती और पर्याप्त तकनीकी ज्ञान का अभाव माना जाता है। समय की मांग के अनुरूप और वैज्ञानिक तरीके से मंदारिन संतरे की पारंपरिक खेती को उन्नत करने की आवश्यकता को महसूस करते हुए दार्जिलिंग संतरा किसान और उत्पादक संघ ने आगमी 27 मई को मिरिक बस्ती पहिलो गांव स्थित लेप्चा भवन में एक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस बारे में जानकारी देते हुए संघ के अध्यक्ष मनोज सुब्बा ने बताया कि दार्जिलिंग पहाड़ के स्वादिष्ट, सुगंधित और स्वास्थ्यवर्धक संतरे की मांग अधिक है, लेकिन किसान कुछ कारणों से फसल का उत्पादन बढ़ाने में असमर्थ हैं। सुब्बा ने बताया कि किसानों को सैद्धांतिक, व्यावहारिक एवं तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र यू.बी.के.बी. द्वारा किया जाएघा। उन्होंने कहा कि भौगोलिक संकेत (जीआई) पहल के बारे में भी विशेष जानकारी प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन मंदारिन संतरे के जीआई के लिए पहल कर रहा है, जिसके लिए उसे भारत सरकार से सकारात्मक संकेत मिले हैं और उन्होंने दार्जिलिंग पहाड़ियों के संतरा किसानों से कार्यक्रम में भाग लेने का आग्रह किया। मुख्य समन्वयक एवं परियोजना निदेशक जीवन कुमार राई ने बताया कि दार्जिलिंग पहाड़ में उत्पादित मंदारिन संतरे के लिए जीआई दर्जा प्राप्त करने के लिए वर्ष 2019 से लगातार प्रयास किये जाने के बाद भारत सरकार ने इस दिशा में हरी झंडी दे दी है। उन्होंने दावा किया कि संघ मंदारिन संतरे के प्रचार-प्रसार की दिशा में काम कर रहा है, क्योंकि अन्य स्थानों पर उत्पादित संतरे की तुलना में मंदारिन संतरे की मांग सबसे अधिक है। वहीं दूसरी ओर संघ के सचिव जोहन लेप्चा ने चिंता व्यक्त की कि संतरा उत्पादकों की कड़ी मेहनत के बावजूद फल उत्पादन में साल दर साल गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि यदि वे जागरुकता कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित हो सकें तो इससे किसानों को भी काफी लाभ होगा।

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