
कोलकाता: राज्य सरकार अब 'पुशबैक' विवाद में एक्शन मोड में आ गई है। 'सन्मार्ग' ने पहले ही लिखा है कि अब राज्य प्रशासन 'पुशबैक' विवाद में अन्य राज्यों के साथ समन्वय और सहयोग करने जा रहा है। इस संबंध में ओडिशा के विभिन्न जिलों में बांग्लाभाषी प्रवासी श्रमिकों के साथ हो रही कथित बदसलूकी, गैरकानूनी हिरासत और भेदभावपूर्ण व्यवहार को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने गहरी चिंता जताई है। नवान्न सूत्रों के अनुसार, राज्य के मुख्य सचिव डॉ. मनोज पंत ने ओडिशा के मुख्य सचिव मनोज आहूजा को पत्र लिखकर मामले को मानवीय दृष्टिकोण से जल्द सुलझाने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है
पत्र में डॉ. पंत ने लिखा है कि बंगाल के हजारों गरीब लोग आजीविका की तलाश में ओडिशा के विभिन्न जिलों जैसे पारादीप, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, मलकानगिरी, बालेश्वर और कटक में वर्षों से काम कर रहे हैं। इनमें दैनिक मजदूर, रिक्शा चालक, घरेलू कामगार और वहां बसे परिवार शामिल हैं, जो ओडिशा की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि केवल बांग्ला भाषा बोलने के कारण कई श्रमिकों को 'बांग्लादेशी घुसपैठिया' बताकर हिरासत में लिया जा रहा है, भले ही उनके पास आधार, राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और बिजली बिल जैसे आवश्यक दस्तावेज मौजूद हैं। कई मामलों में तो पूर्वजों की जमीन के कागजात लाने जैसी असंगत और अव्यावहारिक मांगें भी की जा रही हैं। मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा नागरिकता की पुष्टि संबंधी रिपोर्ट भेजे जाने के बावजूद कई मामलों में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। उन्होंने अपील की कि इस मामले को तत्काल संवेदनशीलता से निपटाया जाए ताकि कोई भी भारतीय नागरिक भाषा या क्षेत्रीय पहचान के आधार पर भेदभाव का शिकार न हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि बंगाल सरकार हरसंभव सहयोग को तैयार है। इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल है।