मां-बेटे के विवाद में भड़के केरल हाईकोर्ट के जज

‘मुझे शर्म आ रही, ऐसे समाज में जी रहा हूं , जहां बेटा 100 साल की मां की अनदेखी कर रहा’
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तिरुवनंतपुरम : केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने एक फैसले में कहा है कि अगर किसी मां के कई बच्चे हैं तो उनकी कोई भी संतान इस बात को आधार बनाकर भरण-पोषण राशि देने से इनकार नहीं कर सकती कि उनके और भी बच्चे हैं। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपीली बेटे की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अन्य बच्चों की मौजूदगी एक मां द्वारा अपने बेटे से भरण-पोषण की मांग करने की याचिका के खिलाफ कोई वाजिव और वैध बचाव नहीं है।

मां आठ साल से लड़ रहीं मामला!

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन के पीठ ने एक ऐसे बेटे की याचिका खारिज कर दी, जिसने परिवार अदालत द्वारा 100 वर्षीय मां को सिर्फ 2000 रुपये के भरण-पोषण भत्ता देने के आदेश को चुनौती दी थी। पीठ ने याची के इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि मां (प्रतिवादी 1) अपने एक अन्य बेटे के साथ रह रही है और उसके कुछ वृद्ध बच्चे हैं, जो उसका भरण-पोषण करने में सक्षम हैं।

कोर्ट ने बेटे के तर्क पर जताया गहरा दुख

लाइव लॉ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीठ ने बेटे के तर्क पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि शर्म आनी चाहिए, 100 साल की एक बुजुर्ग औऱ लाचार मां को सिर्फ 2000 रुपये नहीं दे सकते। पीठ अपने आदेश में लिखा कि भरण-पोषण भत्ता के लिए याचिका दायर करते समय याची की मां 92 वर्ष की थीं। अब वे 100 वर्ष की हो चुकी हैं और अपने बेटे से भरण-पोषण की उम्मीद कर रही हैं! न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने कहा कि मुझे यह कहते हुए शर्म आ रही है कि मैं इस समाज का सदस्य हूं, जहां एक बेटा अपनी 100 वर्षीय मां से सिर्फ 2,000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने से इनकार करने के लिए अदालती लड़ाई लड़ रहा है!

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