मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार से कहा कि अपनी मां की सामाजिक स्थिति और जाति के आधार पर जाति प्रमाणपत्र चाहने वाले नागरिकों को अपनी मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने की सुविधा दी जानी चाहिए। न्यायालय ने साथ ही निर्देश दिया है कि असाधारण परिस्थितियों में मां की जाति के आधार पर बच्चों को जाति प्रमाणपत्र और ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने के लिए ‘आपले सरकार’ पोर्टल पर आवश्यक प्रावधान जोड़ने पर विचार करे।
समिति गठन का निर्देश
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से एक समिति भी गठित करने को कहा है ताकि ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करने के प्रावधानों की संभावना का पता लगाया जा सके।
सरकारी पोर्टल में संशोधन करने का आदेश
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन डी भोबे के पीठ ने स्वानुभूति जैन बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले की सुनवाई करते हुए इस बारे में राज्य सरकार को सरकारी पोर्टल में संशोधन करने का आदेश दिया। ‘आपले सरकार’ राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट है, जो नागरिकों के लिए विभिन्न लाभकारी योजनाएं प्रदान करती है और उन्हें शिकायत दर्ज करने में भी सक्षम बनाती है।
याची ने की थी ओबीसी सर्टिफिकेट की मांग
रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने स्वानुभूति जैन (30) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को पोर्टल पर मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने में सक्षम बनाने का आदेश दिया है। जैन ने अदालत से राज्य सरकार को उसकी मां की जाति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जाति प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया था।
याचिका खारिज
पीठ ने हालांकि स्वानुभूति जैन की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह यह साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत देने में विफल रही कि उसका पालन-पोषण केवल उसकी मां ने किया था या उसकी परवरिश उसकी मां की जाति की स्थिति से प्रभावित थी। स्वानुभूति की मां ने 2022 में अपना ओबीसी प्रमाणपत्र प्राप्त किया था, जिसके बाद जैन ने जाति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया।