अवैध निर्माण : नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से भी राहत

बहाल रहा हाई कोर्ट का गिराये जाने का आदेश
अवैध निर्माण : नहीं मिली सुप्रीम कोर्ट से भी राहत
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सन्मार्ग संवाददाता

नयी दिल्ली/कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन के डिविजन बेंच ने अवैध निर्माण के मामले में दायर एक एसएलपी को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवंगनम के डिविजन बेंच ने इस पांच मंजिली बिल्डिंग की अवैध रूप से बनायी गई तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी।

एडवोकेट अब्दुल हमीद मोल्ला ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वाटगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत नौ नंबर बोरो में छह फुट चौड़ी सड़क पर यह पांच मंजिली बिल्डिंग बनायी गई है। इसके खिलाफ पीआईएल दायर की गई थी। जस्टिस पारदीवाला के बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि वे हाई कोर्ट के फैसले से पूरी तरह सहमत हैं। बेंच ने कहा है कि जनहित में साहस और प्रतिवद्धता के साथ लिए गए हाई कोर्ट के फैसले की प्रशंसा करते हैं। हाई कोर्ट ने अपने न्यायिक अधिकार का सही प्रयोग किया है। बेंच ने कहा है कि अवैध निर्माण के मामले में सख्ती के साथ कार्रवाई की जानी चाहिए। बेंच ने कहा कि पीटिशनर की दलील में कोई मेरिट नहीं है। इसके साथ ही कहा है कि जिस व्यक्ति में कानून के प्रति कोई श्रद्धा नहीं है उसे अवैध निर्माण का नियमितीकरण का आवेदन किए जाने का कोई हक नहीं है। अवैध निर्माण के मामले में कोर्ट को काफी सख्ती के साथ पेश आना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस आदेश को हूबहू बहाल रखा है। हाई कोर्ट ने अवैध मंजिलों में रहने वालों को खाली करने के लिए नोटिस दी जाने का आदेश दिया था। यह प्रक्रिया 16 मई तक पूरी की जानी है। इसके बाद केएमसी के अफसर इन तीनों अवैध मंजिलों को गिरा देंगे। इस दौरान उपयुक्त पुलिस बल उपलब्ध कराये जाने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने पोर्ट डिविजन के डीसी को यह जिम्मेदारी सौंपी है।


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