अपने घर के बजट की मदद से समझिये देश के बजट के बारे में सबकुछ

यह सभी बातें बजट में होती है महत्वपूर्ण
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नई दिल्ली - कल 1 फरवरी है। कल एक बार फिर से सरकार बजट पेश करने वाली है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल देश के सामने सरकार का बहीखाता रखेंगी। इस बजट में सरकार के खर्चे से लेकर कमाई तक पूरा हिसाब किताब होगा। कई बार ऐसा देखा गया है कि लोग बजट को समझ नहीं पाते हैं।

आज हम आपको इसे आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे। इसे समझाने के लिए हम आपके घर के बजट की देश के बजट से तुलना करेंगे। इसकी मदद से हम देश के पास आने वाले पैसे और खर्च किये जाने वाले पैसे के बारे में बेहतर तरीके से समझ पाऐंगे।

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घर के बजट जैसा ही हाेता है देश का बजट

जिस तरह हम सभी लोग अपने घर के लिए बजट बनाते हैं, उसी तरह सरकार देश के लिए बजट बनाती है। दोनों में अंतर ये है कि घर में बनाए जाने वाले बजट में हम महीने भर का हिसाब रखते हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा बनाए गए बजट में साल भर का लेखा जोखा होता है। जैसे हम घर का बजट बनाते वक्त ये तय करते हैं कि पैसा कहा से आएगा और कहा उसे खर्च करना है और कितना बचाना है, ठीक उसी तरह सरकार भी साल भर की आमदनी और खर्च का लेखा जोखा करती है।

सरकार अपनी सालाना जमा और खर्च का पूरा ब्यौरा बजट के जरिए ससंद के सामने पेश करती है। बजट में सरकार को अपनी दो जेबों का सबसे अधिक ध्यान रखना होता है। सरकार की पहली जेब रेवेन्यू है और दूसरी कैपिटल है। रेवेन्यू यानी बार-बार होने वाली कमाई या खर्च, और कैपिटल मतलब कभी कबार होने वाली कमाई या खर्च।

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कमाई और खर्च के बीच बैलेंस करती है सरकार

जैसे हम अपने घर में बिजली बिल और मोबाइल बिल केे रूप में बार-बार होने वाले खर्च को कम से कम करने की कोशिश करते हैं, और ठीक इसके उलट बार-बार होने वाली कमाई ज्यादा से ज्यादा हो इसकी कोशिश करते हैं, वैसे ही सरकार भी करती है। सरकार भी कोशिश करती है कि टैक्स आदि से बार-बार होने वाली कमाई जितनी अधिक हो सके और सैलरी, पेंशन के रूप में रेवेन्यू जितना कम खर्च हो सके।

हम घर में कभी-कबार कैपिटल एक्सपेंस करते हैं। जैसे कि फ्लैट या प्लॉट खरीदना। यह आगेे चलकर हमे लॉग टर्म पर गेन देता है। ठीक हमारी ही तरह सरकार भी कैपिटल खर्च करती ( हाइवे, एयरपोर्ट बनाना ) है जो आगे चलकर सरकार की कमाई का अच्छा सोर्स बनता है। इस वजह से सरकार उनपर ज्यादा से ज्यादा खर्च करती है। सरकार भले ही कैपिटल खर्च को बढ़ाती है, पर सरकार कैपिटल इनकम पर कम से कम निर्भर रहना चाहती है। बजट के द्वारा सरकार रेवेन्यू खर्च और कैपिटल खर्च के बीच बैलेंस बनाती है।

बजट संसद में क्यो पेश किया जाता है ? जिस तरह से हम अपने घर में अलग-अलग सोर्स से आए इनकम को एक अकाउंट में जमा करते हैैं उसी तरह सरकार भी टैक्स, राजस्व, कर्ज समेत अलग-अलग कमाई से आए इनकम को एक कोष यानी 'कंसोलिडेटेड फंड्स' में रखती है।

जैसे ज्वाइंट अकाउंट से पैसे निकालने के लिए अकाउंट के सभी मालिकों की इजाजत लगती है उसी तरह देश के कंसोलिडेटेड फंड्स से पैसा निकालने के लिए लोकसभा की मंजूरी की जरूरत होती है। यह इसलिए क्यो‌ंकि यह पैसा जनता का होता है और लोकसभा में जनता द्वारा चुने सभी प्रतिनिधि होतेे हैं। इस वजह से बजट को लोकसभा में पेश किया जाता है।

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कैसे बनता है बजट ?

देश के बजट को बनने में 6 महीने का समय लगता है। सिंतबर में सर्कुलर जारी कर के मंत्रालयों, विभागों और केंद्र शासित प्रदेशों को अगले एक साल के लिए जरूरी फंड का डेटा देने को कहा जाता है। इसी डेटा के आधार पर मंत्रालयों, राज्यों और विभागों को बजट का आवंटन किया जाता है।

यह वित्त मंत्रालय के हाथ में होता है कि किसे कितना फंड देना है। हर विभाग की कोशिश होती है कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा फंड मिले ताकि वह ज्यादा खर्च कर पाए। बजट बनाने वाली टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग के इनपुट मिलते रहते हैं।

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