नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले के हालिया बयान पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि संघ के तत्कालीन प्रमुख बाला साहब देवरस ने तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर आपातकाल के फैसले की तारीफ की थी।
‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर दिया अनुच्छेद 15 का हवाला
दीक्षित ने एक इंटरव्यू में आरएसएस पर ‘आधे-अधूरे ज्ञान’ के आधार पर बयानबाजी करने का आरोप भी लगाया और 1975 में आपातकाल के दौरान आरएसएस के रुख को लेकर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि इधर-उधर की बात करना उनकी पुरानी आदत है। उन्होंने सवाल किया कि संघ के नेता पहले देश में विद्रोह, प्रधानमंत्री आवास को घेरने और सरकार को काम न करने देने की बात करते थे, फिर देवरस ने आपातकाल का स्वागत क्यों किया? यही नहीं संघ के तमाम नेताओं ने इसकी तारीफ की थी।
अनुच्छेद 15 का जिक्र
दीक्षित ने होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों के जोड़ जाने के औचित्य पर सवाल उठाने पर संविधान के अनुच्छेद 15 का जिक्र करते हुए कहा कि अनुच्छेद 15 या अन्य किसी भी प्रावधान के तहत यह नियम है कि कोई भी सरकार धर्म या किसी अन्य आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करेगी। धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत संविधान में पहले से ही मौजूद था, भले ही इसे बाद में प्रस्तावना में जोड़ा गया।
‘आरएसएस ने संविधान को कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया’
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भी कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का पूरा प्रचार अभियान भी संविधान बदलने पर केंद्रित था लेकिन जनता ने इसे खारिज कर दिया। फिर भी संविधान के मूल ढांचे को बदलने की मांग लगातार आरएसएस के तंत्र द्वारा की जाती रही है। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसने 30 नवंबर, 1949 के बाद से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और इसके निर्माण में शामिल अन्य लोगों पर निशाना साधा।