मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

ब्रिटिश हुकूमत जैसा बर्ताव न करें : सीएम ममता

केंद्र पर आर्थिक असहयोग का लगाया आरोप
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कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में प्रशासनिक बैठक के दौरान केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। राज्य सरकार के साढ़े चौदह वर्षों के कामकाज का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र आर्थिक असहयोग कर रहा है और जबरन निर्देश थोपकर राज्यों पर दबाव बना रहा है। उन्होंने केंद्र के रवैये को 'ब्रिटिश राज शैली' बताया और कहा कि देश के संघीय ढांचे में सहकारी संघवाद का पालन होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने एसआईआर और सामूहिक उत्पीड़न को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, हम लोगों को प्रताड़ित करने के लिए देश से नहीं भगाते, कैद नहीं करते। केंद्र सरकार से कहना चाहती हूं कि वह ब्रिटिश हुकूमत की तरह कुछ भी जबरन न थोपे। यदि कुछ कहना है तो राज्य को सीधे बताएं।

ममता ने कहा, ग्रामीण आवास योजनाओं के तहत 67.69 लाख घर बने हैं। ‘पथश्री’ परियोजना पूरी तरह राज्य के खर्च से चल रही है। केंद्र के फंड रोकने के बाद हमें 19,400 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। इसके बावजूद 60 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण जारी है, जिनमें 39 हजार किलोमीटर पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया, 2011 से अब तक 1.30 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बन चुकी हैं। ग्रामीण सड़क और आवास योजनाओं में हम चार साल देश में नंबर एक रहे, इसलिए ही केंद्र ने हमारी निधि रोक दी।

ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल के 1.87 लाख करोड़ रुपये रोक रखे हैं। उन्होंने कहा, हम लगातार चार वर्षों तक ग्रामीण सड़क निर्माण, आवास योजना और मनरेगा में नंबर एक रहे। इसी वजह से हमारी निधि रोक दी गयी। उन्होंने दावा किया कि चुनाव से पहले धन जारी न करना केंद्र की ‘राजनीतिक रणनीति’ है। फरवरी में पैसा दोगे ताकि हम खर्च न कर सकें? फिर कहोगे कि मार्च तक राशि खर्च नहीं हुई।

मुख्यमंत्री ने 94 कल्याणकारी योजनाओं जैसे लक्ष्मी भंडार, कन्याश्री और कृषक बंधु का उल्लेख करते हुए विपक्ष के 'कोई विकास नहीं' वाले आरोपों को खारिज किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मतभेदों के बावजूद राज्य केंद्र से सहयोग चाहता है और सहकारी संघवाद ही आगे का रास्ता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, 'मैं केंद्रीय सरकार की आभारी हूं कि उसने हमारे हक की राशि का भुगतान नहीं किया। आप सहयोग कर सकते हैं, असहयोग भी। लेकिन संविधान के तहत देश के संघीय ढांचे में सहकारी संघवाद का पालन होना आवश्यक है।'

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