

कोलकाता: राज्य में ओबीसी आरक्षण को लेकर विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंभीर चिंता जतायी है। सोमवार को विधानसभा में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष आम लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने मंत्रियों से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर ओबीसी आरक्षण को लेकर सही जानकारी लोगों के सामने रखें। खासकर मुस्लिम बहुल इलाकों और ओबीसी समुदाय के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में तृणमूल नेताओं और मंत्रियों को सक्रिय रहने का निर्देश दिया गया है। ममता ने स्पष्ट किया कि ओबीसी सूची धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि विभिन्न वर्गों की मौजूदा आर्थिक स्थिति के आधार पर तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि अदालत के निर्देशानुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी की गई हैं और सब कुछ नियमों और गाइडलाइंस के तहत हुआ है। यदि किसी को अब भी आपत्ति है, तो वह आयोग के सामने जाकर अपनी बात रख सकता है।
बंगाल में धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि हक के आधार पर मौका मिलेगा
विधानसभा में भी मुख्यमंत्री ने विपक्ष के अवांछित प्रचार पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के ‘संप्रदाय विशेष के तुष्टीकरण’ के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, यह सूची हमारी सरकार की बनाई हुई नहीं है, बल्कि यह मंडल कमीशन की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, राजवंशी, मतुआ सभी को साथ लेकर चलना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की ओबीसी सूची में 140 पिछड़े समुदाय शामिल हैं, जिनमें 80 मुस्लिम और 60 गैर-मुस्लिम हैं। ओबीसी सिर्फ मुस्लिमों के लिए नहीं है। सभी समुदायों को इसमें शामिल किया गया है। किसी को भी जान-बूझकर फायदा नहीं पहुंचाया गया। उन्होंने यह भी कहा, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है, जो विभाजन के समय से चली आ रही है। इसके लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा। मुख्यमंत्री ने यह स्वीकार किया कि ओबीसी सूची के पुनर्गठन में कुछ मुस्लिम समुदायों को 'ओबीसी-ए' से 'ओबीसी-बी' में स्थानांतरित किया गया है या सूची से हटाया गया है, जिससे कुछ असंतोष है। यह मामला ओबीसी आयोग देख रहा है। लेकिन यह फैसला जमीनी सर्वेक्षण और वास्तविक स्थिति को देखते हुए लिया गया है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि 2019 से अल्पसंख्यक छात्रों के लिए केंद्र ने स्कॉलरशिप बंद कर दी है। लेकिन राज्य सरकार ने अपनी ‘ऐक्यश्री’ योजना के तहत अब तक 2.54 करोड़ रुपये स्कॉलरशिप के रूप दिये हैं। इसके अलावा ‘मेधाश्री’ योजना भी ओबीसी छात्रों के लिए जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा, पश्चिम बंगाल में जाति, धर्म या पहचान के आधार पर नहीं, बल्कि हक के आधार पर हर किसी को मौका मिलेगा। ममता ने यह भी दोहराया कि हम लोगों को बनाना चाहते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, 'मनुष्य का निर्माण सबसे जरूरी है।’