वकीलों को वैवाहिक विवादों में आरोपों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए : कोर्ट

‘अपने मुवक्किलों को वैवाहिक विवाद सुलझाने की सलाह दें वकील’
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नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि वकीलों को अपने मुवक्किलों को वैवाहिक विवाद सुलझाने की सलाह देनी चाहिए न कि उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप करने और इसे ‘हवा’ देने का मशविरा देना चाहिए।

वादियों-प्रतिवादियों को भावनात्मक आघात का सामना करना पड़ता है

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा के पीठ ने कहा कि वैवाहिक विवादों में वादियों-प्रतिवादियों को भावनात्मक आघात का सामना करना पड़ता है, उनके निजी जीवन में ठहराव सा आ जाता है। पीठ ने कहा कि वह वादियों-प्रतिवादियों की ‘हताशा और निराशा’ से अवगत है। पीठ ने कहा कि यद्यपि शांति और सौहार्द अत्यंत आवश्यक है और ऐसे मामलों में वादी पक्षकारों का आचरण कानून में निर्धारित सीमाओं को पार नहीं कर सकता। उच्च न्यायालय ने सात अप्रैल को पारित आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में वकीलों की न केवल अपने मुवक्किल के प्रति बल्कि अदालत और समाज के प्रति भी बड़ी जिम्मेदारी होती है।

वकील से दुर्व्यवहार पर पति पर एक लाख का जुर्माना

पीठ ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में आरोपों को बेहद व्यक्तिगत रूप से लिया जा सकता है, जिसके कारण मुवक्किल दूसरे पक्ष के वकीलों के साथ दुर्व्यवहार कर सकते हैं हालांकि इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। अंत में, ऐसे मामलों में पक्षकारों का आचरण कानून में निर्धारित सीमाओं से परे नहीं जा सकता। पीठ ने एक पति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए यह टिप्पणी की। यह राशि उसे अलग रह रही अपनी पत्नी को देनी होगी। यह जुर्माना उसके दुर्व्यवहार के लिए कुटुंब अदालत में लगाया गया था। इस दुर्व्यवहार में पत्नी के वकील के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल भी शामिल था।

छह महीने की जेल की सजा भी

पति के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की महिला की याचिका पर विचार करते हुए और उसे (पति को) छह महीने की जेल की सजा सुनाते हुए पीठ ने कहा कि हालांकि उच्च न्यायालय और कुटुंब अदालतों में कार्यवाही के दौरान कई घटनाएं हुई हैं लेकिन उसे (पति को) सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

वैवाहिक विवाद वकीलों के बीच ‘खतरनाक झगड़े’ में बदल गया

अदालत ने कहा कि अगर पत्नी के वकील के खिलाफ कोई आरोप थे तो पति को उचित कार्रवाई करनी चाहिए थी। अदालत में गाली-गलौज नहीं चल सकता। पति ने जुलाई, 2024 में कथित तौर पर कुटुंब अदालत में वकील के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद हंगामा मच गया था। अदालत ने कहा कि वैवाहिक विवाद दोनों पक्षों के वकीलों के बीच ‘खतरनाक झगड़े’ में बदल गया।

पत्नी के वकील से मौखिक माफी मांगने का निर्देश

मामले की पृष्ठभूमि, पति द्वारा व्यक्त किये गये पश्चाताप और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसके पिता बीमार हैं, अदालत ने पति को फटकार लगायी और उसे पत्नी के वकील से मौखिक माफी मांगने का निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी (पति) याची (पत्नी) को एक लाख रुपये का खर्च भी अदा करेगा और अपने नाबालिग बच्चों के भरण-पोषण और स्कूल की फीस का भुगतान जारी रखेगा।

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