सामाजिक भेदभाव का नया जरिया इंटरनेट, खाई और हो रही चौड़ी : सीजेआई
नयी दिल्ली : देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई ने कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में इंटरनेट समाज को विभाजन की ओर ले जा रहा है। सीजेआई ने चिंता जताते हुए कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी, उपकरणों और डिजिटल साक्षरता तक समाज के सभी वर्गों की असमान पहुंच से हाशिए पर पड़े समुदायों का बहिष्कार हो सकता है, जो पहले से ही न्याय के लिए कई किस्म की बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
हाशिए पर पड़े समुदायों की अनदेखी संभव
न्यायमूर्ति गवई ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में ‘न्याय वितरण प्रणाली में प्रौद्योगिकी की दोहरी भूमिका’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दौर में इंटरनेट सामाजिक भेदभाव का एक नया उपकरण बन गया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी, उपकरणों और डिजिटल साक्षरता तक समाज के सभी वर्गों की असमान पहुंच से हाशिए पर पड़े समुदायों का बहिष्कार हो सकता है, जो पहले से ही न्याय के लिए कई किस्म की बाधाओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविकता में न्याय प्रदान करने की दिशा में पहुंच और समावेशन के आधार पर प्रौद्योगिकी को डिजाइन का आधार होना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि डिजिटल उपकरणों को न्यायिक तर्क की सहायता करनी चाहिए, न कि उसकी जगह ले लेनी (रिप्लेस करनी) चाहिए।
एआई के उपयोग के लिए मानक बनाने पर जोर
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी को न्यायिक कार्यों, विशेष रूप से तर्कसंगत निर्णय लेने और व्यक्तिगत मामले के आकलन को रिप्लेस करने के बजाय बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का डिजायन ऐसा हो जो सभी की पहुंच तक सुलभ हो। सीजेआई ने अदालतों में प्रौद्योगिकी के आधार पर हो रहे बदलावों को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत ढांचे की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अदालतों में कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के उपयोग के लिए मानक विकसित किए जाने चाहिए।
स्वचालित उपकरणों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें: सीजेआई
उन्होंने स्वचालित कानूनी उपकरणों पर आंख मूंदकर भरोसा करने के खिलाफ भी चेतावनी दी है। उन्होंने एल्गोरिदमिक पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटाइजेशन ने देरी को कम किया है और निगरानी तंत्र में सुधार किया है, लेकिन इन प्रगति को सांविधानिक मूल्यों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।