चीन ने LAC के पास तैनात किये GJ-11 ‘शार्प स्वोर्ड’ स्टील्थ ड्रोन

अगस्त-सितंबर के दौरान तिब्बत के शिगात्से हवाईअड्डे पर तैनात किये कई स्टील्थ ड्रोन, सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा
gj-11 chinese stealth drone
GJ-11 ‘शार्प स्वोर्ड’ स्टील्थ ड्रोन
Published on

नयी दिल्ली : चीन ने अपनी हवाई क्षमता में बड़ा विस्तार करते हुए पहली बार भारत की सीमा से सटे तिब्बत के शिगात्से एअरबेस पर GJ-11 शार्प स्वॉर्ड स्टील्थी फ्लाइंग-विंग अनक्रूड कॉम्बैट एअर ह्वीकल्स (UCAV) तैनात किये हैं। बताया जाता है कि यह तैनाती अगस्त और सितंबर के बीच की गयी है।

तैनाती बदल सकती है LAC पर शक्ति संतुलन

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि अगस्त और सितंबर के बीच कई हफ्तों तक चीन ने एक डबल यूज सैन्य-नागरिक हवाईअड्डे पर कई युद्धक ड्रोन तैनात किये हैं। प्रतिरक्षा विश्लेष वेबसाइट ‘द वॉर जोन’ की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान ऑपरेशनल रनवे पर GJ-11 शार्प स्वॉर्ड स्टील्थी फ्लाइंग-विंग UCAV तैनात किये गये। चीन की इस तैनाती से भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शक्ति संतुलन बदल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार ये ड्रोन अब अर्द्ध संचालन स्थिति तक पहुंच चुके हैं और इन्हें वास्तविक युद्ध परीक्षण के लिए तैनात किया गया है।

दशक से चल रहा शार्प स्वॉर्ड ड्रोन को विकसित करने का काम

‘द वॉर जोन’ ने प्लैनेट लैब्स के ऑनलाइन आर्काइव डेटाबेस में मौजूद तस्वीरों के हवाले से बताया है कि चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित शिगात्से एअर बेस, जिसे शिगात्से पीस एअरपोर्ट भी कहा जाता है, वहां 6 अगस्त से 5 सितंबर के बीच तीन GJ-11 विमान दिखाई दिये हैं। गौरतलब है कि शार्प स्वॉर्ड ड्रोन को विकसित करने का काम पिछले एक दशक से भी ज्यादा वक्त से चल रहा है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे हवा से जमीन पर हमला करने और खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) मिशनों को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्लेटफॉर्म के रूप में हवा से हवा में युद्ध में इस्तेमाल की भी क्षमता है।

सिक्किम से 145 किलोमीटर दूर ड्रोन की तैनाती

शिगात्से एअरबेस की सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहे कम से कम दो ड्रोनों पर पूरी तरह से धूसर रंग की पेंटिंग है, जैसा कि आमतौर पर अन्य चीनी ऑपरेटेड और गैर-चालित सैन्य विमानों पर देखा जाता है। कम से कम एक और उदाहरण लाल/भूरे रंग के किसी प्रकार के सुरक्षात्मक आवरण के साथ दिखाई देता है। गत 10 सितंबर को ली गयी शिगात्से की प्लैनेट लैब्स की एक तस्वीर में फ्लैंकर-प्रकार के लड़ाकू विमानों को इसी तरह के आवरणों के साथ दिखाया गया है। शिगात्से एअरबेस, जिसे ‘पीस एअरपोर्ट’ भी कहा जाता है, चीन के दक्षिण-पश्चिमी मोर्चे पर भारत के सिक्किम राज्य से महज 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एअरबेस रणनीतिक रूप से बेहद अहम है क्योंकि यहीं से चीन, भारत के पूर्वोत्तर मोर्चे की निगरानी और एअर पावर प्रोजेक्शन कर सकता है। यह वही एअरबेस है, जहां पहले चीन के WZ-7 ‘सोरिंग ड्रैगन’ रिकॉनिसेंस ड्रोन भी सक्रिय रूप से ऑपरेट होते रहे हैं।

दुनिया के सबसे लंबे रनवे में शामिल है शिगात्से एअरबेस

रिपोर्ट के अनुसार शिगात्से का रनवे दुनिया के सबसे लंबे रनवे में से एक है। ये करीब 5,000 मीटर यानी 16,404 फुट की ऊंचाई पर है, जो हाई-एल्टीट्यूड ऑपरेशंस के लिए चीन को अतिरिक्त लाभ देता है। वर्ष 2017 में यहां एक और 3,000 मीटर लंबा सहायक रनवे और सात बड़े पार्किंग स्पॉट जोड़े गये थे। हाल के वर्षों में PLA ने इस एअरबेस का विस्तार कर कई नये हैंगर, बड़े एप्रन और सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। जिससे साफ तौर पर पता चलता है कि चीन, तिब्बत और शिनजियांग के एअरबेसों को अब सिर्फ निगरानी केंद्र नहीं बल्कि पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार एअरबेस के रूप में विकसित कर रहा है।

अमेरिकी B-2 जैसा दिखता है GJ-11!

‘द वॉर जोन’ के अनुसार GJ-11 चीन का सबसे एडवांस स्टेल्थ UCAV है, जिसे पिछले एक दशक से विकसित किया जा रहा है। यह उड़ता हुआ ‘फ्लाइंग विंग’ डिजाइन अमेरिकी B-2 स्पिरिट बमवर्षक जैसा दिखता है और इसे पेनिट्रेटिंग एअर-टू-सर्फेस स्ट्राइक, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस (ISR) मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है। यह ड्रोन न सिर्फ जमीनी ठिकानों पर सटीक हमले करने में सक्षम है बल्कि भविष्य में J-20 स्टेल्थ फाइटर के साथ नेटवर्क-ऑपरेटिंग प्लेटफॉर्म के रूप में भी काम कर सकता है।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in