

कोलकाता: बंगाल एक अंतराष्ट्रीय सीमावर्ती राज्य है। ऐसे में अगर कभी युद्ध जैसी स्थिति बनती है, तो राज्य पर गंभीर संकट आ सकता है। इसी कारण केंद्र सरकार ने राज्य को जल्द से जल्द अपनी तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया है। मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित एक बैठक में राज्य के प्रतिनिधियों को स्पष्ट रूप से युद्ध जैसी परिस्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया। केंद्र सरकार की ओर से कल बुधवार से शुरू होकर आगामी सात दिनों में सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का समय दिया गया है। जहां-जहां कमियां हैं, उन्हें तुरंत ठीक करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
कौन कौन शामिल थे बैठक में?
मंगलवार इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने की, जिसमें युद्ध और आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए राज्य की तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक में एनडीआरएफ के डीजी के अलावा राज्य के मुख्य सचिव डॉ मनोज पंत, गृह सचिव नंदिनी चक्रवर्ती, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव राजेश सिन्हा और सिविल डिफेंस के डीजी जगमोहन भी उपस्थित थे।
मॉकड्रिल का सीधा संबंध आम जनता से नहीं है
केंद्र की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि अगर युद्ध जैसी परिस्थिति उत्पन्न होती है, तो राज्य को संपूर्ण स्तर पर राहत व बचाव कार्य और हालात को नियंत्रित करने की योजना बनानी होगी। इसीलिए मॉकड्रिल की बात की जा रही है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मॉकड्रिल का सीधा संबंध आम जनता से नहीं है। बल्कि यह महत्वपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था, जैसे कि पुलिस, एम्बुलेंस, अग्निशमन, राहत कार्य, अस्पतालों में बेड की उपलब्धता जैसी चीजों की जांच के लिए की जा रही है। केंद्र सरकार ने राज्य के साथ मिलकर 17 जिलों को अति-संवेदनशील बताया है। हालांकि किस जिलों में मॉकड्रिल की जाएगी, इसका फैसला राज्य सरकार ही लेगी क्योंकि किसी भी आपात स्थिति में राहत कार्य उन्हीं को करना होगा। इस सात दिन के भीतर राज्य को अपनी संपूर्ण तैयारियों की समीक्षा करके युद्ध जैसी स्थिति के लिए खुद को तैयार रखना होगा।
खराब सायरनो को मरम्मत करने के निर्देश दिए गए
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, फिलहाल राज्य के विभिन्न जिलों में पहले से कई सायरन लगे हैं। सिर्फ कोलकाता शहर में ही 95 सायरन मौजूद हैं, जिनमें से कई लंबे समय से अनुपयोगी होने के कारण खराब हो चुके हैं। इन्हें तुरंत मरम्मत करने के निर्देश दिए गए हैं। जिलावार देखा जाए, तो हर जिले में 20 से 25 सायरन मौजूद हैं, जिनमें से हर जिला मुख्यालय में एक अनिवार्य रूप से है। एक अधिकारी ने यह भी बताया कि वर्तमान में पूरे राज्य में 62 सैटेलाइट फोन उपलब्ध हैं। सिविल डिफेंस की मुख्य सूचना प्रणाली वायुसेना के माध्यम से होगी। वायुसेना से प्राप्त सूचनाएं सिविल डिफेंस के जरिए अन्य जगहों पर पहुँचाई जाएंगी और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। केंद्र सरकार ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक जिले में 24x7 कंट्रोल रूम की व्यवस्था की जाए। चूंकि राज्य में मानसून को ध्यान में रखते हुए मई महीने से ही इस तरह के कंट्रोल रूम सक्रिय हो जाते हैं, अतः उन्हीं का उपयोग युद्ध जैसी परिस्थिति में राहत व बचाव कार्यों के लिए किया जाएगा।
राज्य को कुल सात दिन का समय दिया गया
नवान्न सूत्रों के अनुसार, राज्य को कुल सात दिन का समय दिया गया है। इस दौरान अधूरी संरचनाओं को दुरुस्त करने और आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था करनी होगी। यही असल में मॉकड्रिल होगी - युद्ध के समय आम जनता की रक्षा के उपायों की एक बड़ी परीक्षा। पहली तैयारी वुधवार शाम 4 बजे से शुरू होगी। हालांकि, यह तैयारी किस-किस जगह पर होगी, इसे लेकर प्रशासन अभी कोई स्पष्ट जानकारी देना नहीं चाहता।