

सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा 30 दिसंबर 1943 को जिमखाना मैदान में सर्वप्रथम भारतीय तिरंगा फहराए जाने की ऐतिहासिक स्मृति में इस वर्ष भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन शहीद स्वराज फाउंडेशन की ओर से किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों, इतिहास प्रेमियों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने ऐतिहासिक स्थल पर ध्वजारोहण किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान, आजाद हिंद सरकार की भूमिका तथा अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 30 दिसंबर 1943 को अंडमान-निकोबार की धरती पर आजाद हिंद सरकार के गठन और तिरंगा फहराए जाने से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा को नई दिशा मिली थी। कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अनिल तिवारी, दक्षिण अंडमान जिला परिषद अध्यक्ष प्रकाश अधिकारी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। बाहर से आए विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भी उल्लेखनीय सहभागिता रही। इस अवसर पर जिमखाना मैदान और उससे जुड़े ऐतिहासिक घटनाक्रमों को याद करते हुए बताया गया कि यहीं से नेताजी ने स्वतंत्र भारत की उद्घोषणा की थी और अंडमान-निकोबार को आजाद हिंद सरकार का हिस्सा घोषित किया गया था।
कार्यक्रम में यह भी स्मरण किया गया कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी ऐतिहासिक स्थल पर भव्य तिरंगा फहराकर इसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नई पहचान दी थी। लगभग 150 फीट ऊंचा यह तिरंगा स्थल आज एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। इस वर्ष के आयोजन में द्वीपों के उपराज्यपाल एडमिरल डी.के. जोशी ने ध्वजारोहण किया, जबकि मुख्य सचिव डॉ. चंद्रभूषण कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। 30 दिसंबर का यह दिन अंडमान-निकोबार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के इतिहास में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में याद किया जाता है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक जीवंत बनाए रखने का संकल्प दोहराया गया।