घरों-पार्कों व कोलकाता की गलियों में दिख रही हैं भूरे रंग की तितलियां

अनुकूल मौसम और घास की भरमार ने बढ़ायी संख्या
घरों-पार्कों व कोलकाता की गलियों में दिख रही हैं भूरे रंग की तितलियां
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मुनमुन, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : महानगर में इन दिनों एक अनोखा प्राकृतिक नजारा देखने को मिल रहा है। शहर की गलियों से लेकर घरों की बालकनियों और पार्कों तक हर ओर भूरे पंखों वाली तितलियों का ऐसा मंजर दिख रहा है मानो हवा में किसी ने नन्हें पंखों की बारिश कर दी हो। अचानक उमड़े इन तितलियों के इस समूह ने लोगों को पहले चौंकाया, फिर हैरानी में डाल दिया। वहीं विशेषज्ञों का साफ कहना हैं कि यह कोई खतरे का संकेत नहीं, बल्कि हर सर्दी में दोहराया जाने वाला प्रकृति का स्वाभाविक मौसमी चक्र है। शहर में दिख रहीं ये तितलियां कॉमन ईवनिंग ब्राउन (Melanitis leda) प्रजाति की हैं, जो वर्ष के इस दौर में स्वाभाविक रूप से सबसे अधिक सक्रिय रहती हैं।

ZSI: मौसम अनुकूल, इसलिए बढ़ीं तितलियां

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) की निदेशक धृति बनर्जी के अनुसार हर वर्ष नवंबर-दिसंबर के आसपास इन तितलियों की संख्या बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार मौसम कुछ अधिक अनुकूल रहा। लंबा मानसून और उसके बाद लगातार हुई बारिश ने इनके लिए बेहतरीन पर्यावरण तैयार किया है। बारिश से शहरभर में घास की भरपूर मात्रा विकसित हुई, जो इस प्रजाति का प्रमुख होस्ट प्लांट है। यही कारण है कि इस वर्ष इनकी मौजूदगी सामान्य से कहीं अधिक दिख रही है। 25 वर्षों से तितलियों पर शोध कर रहे विशेषज्ञ अर्जन बसु रॉय का कहना है कि यदि मौसम अनुकूल न होता तो ये तितलियां प्यूपा अवस्था में ही निष्क्रिय पड़ी रहतीं।

लोग क्यों हो रहे हैं हैरान?

टॉलीगंज निवासी आकाश साव ने बताया कि उन्होंने पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर इन तितलियों का आवागमन नहीं देखा। पिछले दो हफ्तों से यह दृश्य उन्हें बेहद अनोखा लग रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, शहरी पारिस्थितिकी में छोटे–छोटे बदलाव भी इनके बढ़ते संख्या-बल का कारण हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर शहर में चींटियों, ततैयों और मकड़ियों जैसे प्राकृतिक शिकारी जीवों की कमी ने भी तितलियों को बढ़ने का मौका दिया है।

तितलियों को आकर्षित करती है कृत्रिम रोशनी

ZSI के लेपिडोप्टरिस्ट नवनीत सिंह बताते हैं कि यह प्रजाति कम रोशनी में बेहतर विकसित होती है। वयस्क बनने के बाद ये तितलियां कृत्रिम प्रकाश जैसे बल्ब, ट्यूबलाइट और स्ट्रीटलाइट की ओर आकर्षित होती हैं। इसलिए इन्हें घरों और रोशन क्षेत्रों में अधिक देखा जा रहा है।

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