

निधि, सन्मार्ग संवाददाता
बनगांव: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के सीमावर्ती शहर बनगांव में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने विदेशी नागरिकों के लिए बने कड़े प्रशासनिक नियमों और मानवीय संवेदनाओं के बीच की बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। यहाँ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जंग हारने वाली एक 60 वर्षीय बांग्लादेशी महिला के शव को अंतिम संस्कार के ठीक पहले श्मशान घाट से वापस लौटा दिया गया। कागजी औपचारिकताओं और अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की कमी के कारण परिवार को भारी मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ा।
मृतका की पहचान शेफाली विश्वास (60) के रूप में हुई है, जो मूल रूप से पड़ोसी देश बांग्लादेश की नागरिक थीं। वह गंभीर रूप से कैंसर से पीड़ित थीं और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की उम्मीद में भारत आई थीं। उपचार की अवधि के दौरान, वह बनगांव के सबाईपुर इलाके में अपने रिश्तेदारों के घर पर रह रही थीं। गुरुवार को बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद शोक संतप्त परिजन और रिश्तेदार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने लगे।
परिजन शव को लेकर बनगांव महकमा श्मशान घाट पहुंचे। वहां अंतिम संस्कार की चिता सजाने और अन्य धार्मिक क्रियाकर्म शुरू करने की तैयारी चल रही थी। तभी नियमानुसार श्मशान घाट के अधिकारियों ने मृतका के दस्तावेजों की मांग की। जांच के दौरान जैसे ही यह स्पष्ट हुआ कि मृतका एक विदेशी नागरिक (बांग्लादेशी) है, अधिकारियों ने तुरंत प्रक्रिया रोक दी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बिना आधिकारिक अनुमति के वे विदेशी नागरिक के शव का दाह संस्कार नहीं कर सकते।
अंतरराष्ट्रीय नियमों और भारतीय कानून के अनुसार, यदि भारत की धरती पर किसी विदेशी नागरिक की मृत्यु होती है, तो उसके शव के निस्तारण (दाह संस्कार या दफनाने) के लिए संबंधित देश के उच्चायोग (High Commission) की लिखित अनुमति अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में मृतका का पासपोर्ट रद्द करना और उच्चायोग से 'अनापत्ति प्रमाण पत्र' (NOC) प्राप्त करना शामिल होता है। शेफाली विश्वास के मामले में, उनके परिजनों के पास उस समय उच्चायोग का कोई वैध अनुमति पत्र नहीं था। श्मशान प्रबंधन द्वारा हाथ खड़े कर दिए जाने के बाद परिजनों ने मिन्नतें कीं, लेकिन कानून के उल्लंघन के डर से अधिकारियों ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। अंततः, परिजनों को भारी मन से शव को वापस घर ले जाना पड़ा। अब परिवार को ढाका या कोलकाता स्थित बांग्लादेशी उच्चायोग से संपर्क कर कागजी कार्रवाई पूरी करनी होगी।
इस घटना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले उन परिवारों की मुश्किलों को उजागर किया है, जो अक्सर आपातकालीन स्थिति में कानूनी पेचीदगियों से अनजान होते हैं। वर्तमान में मृतका का शव घर पर रखा है और परिवार कूटनीतिक अनुमति मिलने का इंतजार कर रहा है ताकि शेफाली विश्वास को अंतिम विदाई दी जा सके।