दुर्गा पूजा से पहले 368 मीट्रिक टन छोटी मछलियों का बंगाल करेगा विपणन

ममता की बंग मत्स्य परियोजना से बढ़ा बंगाल में मछलियों का उत्पादन : बिप्लव रॉयचौधरी
दुर्गा पूजा से पहले 368 मीट्रिक टन छोटी मछलियों का बंगाल करेगा विपणन
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आंध्र प्रदेश, ओडिशा समेत अन्य राज्यों को पीछे छोड़ रहा बंगाल

कृष्णदास पार्थ

कोलकाता . ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल के विभिन्न बड़े मीठे पानी के स्रोतों जैसे ताल, पोखर (बील-बाउर) और बड़े जलाशयों में बड़े पैमाने पर अच्छी गुणवत्ता वाली मछलियों के उत्पादन पर जोर दिया है। जिस कारण मछली उत्पादन में बंगाल स्वावलंबी बनने के कागार पर है। साथ ही धीरे-धीरे आंध्र प्रदेश, ओडिशा समेत अन्य राज्यों को पीछे छोड़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में 23.74 लाख मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ जो 2023-24 की तुलना में 1.72 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है। यह जानकारी राज्य के मत्स्य पालन विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बिप्लव रॉयचौधरी ने सन्मार्ग को एक विशेष साक्षात्कार में दी। उन्होंने बताया कि 2024-25 में उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर जिलों के समुद्र से सटे खाड़ियों, तालाबों और मुहाने में बगदा, गलदा, भेटकी, परशे, भनोन आदि खारे पानी की मछलियों का उत्पादन 1.98 लाख मीट्रिक टन था। राज्य मत्स्य विकास निगम ने 2024-25 में केवल बड़ी मछलियों के विपणन के लिए विशेष कदम उठाए हैं और इसके परिणामस्वरूप प्रति टन आय में वृद्धि हुई है।

बंग मत्स्य परियोजना के तहत 4530.95 लाख रुपए खर्च किए गए

बंग मत्स्य परियोजना से हुआ क्रांतिकारी बदलाव रॉयचौधरी ने बताया कि बंग मत्स्य परियोजना के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4530.95 लाख रुपए खर्च किए गए है। इस परियोजना के तहत दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप और फ्रेजरगंज तथा पूर्वी मिदनापुर के शंकरपुर और पेटुआ घाट मछली पकड़ने के बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और सुधार किया गया है। नदिया के नवद्वीप और बीरभूम के नानूर, सैथिया और रामपुरहाट में चार मछली बाजार बनाए गए हैं। इसके अलावा न्यू गरिया क्षेत्र के चक-गरिया में एक जलीय रेफरल प्रयोगशाला का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, उक्त वित्तीय वर्ष में लाभार्थियों के लिए 49 बैकयार्ड रंगीन मछली पालन परियोजनाएं, 40 मध्यम पैमाने की रंगीन मछली पालन परियोजनाएं, 2 एकीकृत रंगीन मछली पालन परियोजनाएं, 23 बायोफ्लोक मछली पालन परियोजनाएं, लगभग 12 हेक्टेयर नए तालाब खोदे गए, 30 नई हैचरी, 2 टन की दैनिक उत्पादन क्षमता वाले 10 फीड मिल, इंसुलेटेड बास्केट के साथ 110 तीन-पहिया वाहन, 1 इंसुलेटेड वाहन, 2 रेफ्रिजरेटेड वाहन और 11 जीवित मछली वेंडिंग सेंटर का निर्माण किया गया।

मछली चारा उत्पादन में प्रथम स्थान पर बंगाल

बिप्लव रॉयचौधरी ने बताया कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में हैचरी को पुनर्जीवित करके मछली चारा उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया है। परिणामस्वरूप 2024-25 में मछली चारा का उत्पादन बढ़कर 26.02 बिलियन हो गया। उन्होंने बताया कि पूरे देश में मछली चारा उत्पादन में पश्चिम बंगाल पहले स्थान पर है। चारा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य से राज्य मत्स्य विकास निगम ने वर्ष 2024-25 से गुणवत्ता वाली मछलियां या स्टंटेड फिंगरलिंग मछलियों के उत्पादन को महत्व दिया है। इस वर्ष निगम के अधीन जलाशयों में 368 मीट्रिक टन स्टंटेड फिंगरलिंग का उत्पादन हो रहा है, जिसका विपणन बंगाल के विभिन्न बाजारों में दुर्गा पूजा से पहले किया जाएगा।

अन्य प्रदेशों से कम मंगाई जा रही मछलियां

रॉयचौधरी ने बताया कि राज्य मत्स्य विभाग ने लघु एवं सीमांत मत्स्य कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई विकासात्मक कदम उठाए हैं। इसके परिणामस्वरूप एक ओर जहां मत्स्य कृषकों का विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों, विशेषकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा से मछली के आयात में काफी कमी आई है।

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