
सन्मार्ग संवाददाता
जयगांव : भारत-भूटान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसा जयगांव प्राकृतिक दृष्टिकोण से जितना मनमोहक और पहाड़ी सौंदर्य से भरपूर नजर आता है, इसका दूसरा पहलू उतना ही चिंताजनक है। यहां गंदगी और अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन से लोग परेशान हैं। विशेष रूप से जयगांव के सुमसुमी बाजार स्थित लामा ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में कई वर्षों से कचरे का ढेर जमा है। ग्रामीणों का आरोप है कि साफ सफाई तो दूर आज तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी देखने नहीं आया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में कचरे का अंबार होने की वजह से चारों ओर दुर्गंध फैल रही है और इससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है। इसके नियंत्रण के लिए किए गए प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्थानीय निवासी बताते हैं कि कचरा उठाने वाली गाड़ी इस क्षेत्र में नहीं आती, जिससे लोग अपने घरों का कचरा खुले में फेंकने को मजबूर हैं। जयगांव के सुपरमार्केट और एमजी रोड जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भले ही थोड़ी-बहुत सफाई दिखती हो, लेकिन सुमसुमी बाजार और इससे सटे इलाकों को प्रशासन ने जैसे 'भूल' ही गया है। एक बुजुर्ग महिला का कहना है कि अगर यहां नियमित कचरा उठाने वाली गाड़ी आती, तो हम भी इसमें कचरा डालते और इलाका साफ रहता। अभी तो यहां से गुजरना भी मुश्किल हो गया है, बदबू और मच्छरों की भरमार है। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि सूरज की तेज रोशनी में कचरे से निकलने वाली दुर्गंध बर्दाश्त के बाहर हो जाती है और बरसात के दिनों में तो सड़कों पर कचरा बहने लगता है, जिससे पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। इतना ही नहीं, इन कचरे के ढेरों पर आवारा पशु जैसे गाय और कुत्ते चारा खोजते हैं और कचरे को पूरे रास्ते में बिखेर देते हैं, जिससे संक्रमण और रोग फैलने का खतरा और भी अधिक बढ़ जाता है। एक स्थानीय व्यक्ति ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रोज सुबह जब मैं मंदिर जाता हूँ, तो इसी गंदगी के बीच से होकर गुजरना पड़ता है, यह स्थिति मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से कष्टदायक है। गौरतलब है कि जयगांव के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती फुटपाथों पर भी अब अनियोजित अतिक्रमण और गंदगी का संकट बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के आम नागरिक इन्हीं रास्तों से आना-जाना करते हैं, लेकिन इन फुटपाथों की दुर्दशा पर न तो कोई ध्यान दे रहा है और न ही स्थानीय व्यापारी इसपर कोई प्रतिक्रिया दे रहे हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि हमें कचरे से आज़ादी चाहिए। जयगांव के नागरिकों की एकमात्र मांग है स्वच्छता। वे चाहते हैं कि प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले, नियमित रूप से कचरा संग्रहण की व्यवस्था करे और सुमसुमी बाजार जैसे उपेक्षित इलाकों में भी स्वच्छ भारत अभियान का प्रभाव दिखे।