

ढाका : बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के आरोप में करीब 5 महीने से जेल में बंद हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को बुधवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘दो न्यायाधीशों की पीठ ने अपने पहले के फैसले को बरकरार रखते हुए अधिकारियों से सवाल किया कि उन्हें (दास को) जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए।’ दो जजों के पीठ ने अपने पिछले फैसले पर अंतिम सुनवाई के बाद जमानत मंजूर की।
मो. यूनुस की अंतरिम सरकार में हिन्दुओं का उत्पीड़न बढ़ने के बीच बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव की कोतवाली पुलिस ने 31 अक्टूबर को दास और 18 अन्य पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का कथित अपमान करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था। अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के पूर्व नेता दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। हिंदू संगठन सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता दास को गिरफ्तारी के बाद दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर चटगांव की अदालत में ले जाया गया था, जिसने अगले दिन उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था।
दास की गिरफ्तारी के बाद व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और उनके समर्थकों ने ढाका और अन्य जगहों पर प्रदर्शन किया। चटगांव में विरोध प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब दास को जेल भेजे जाने के कुछ ही घंटों बाद सहायक सरकारी अभियोजक सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या कर दी गई।
यह घटनाक्रम पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन की आड़ में कट्टरपंथियों द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार का तख्तापलट किये जाने के तीन महीने से भी कम समय बाद हुआ। दास की गिरफ्तारी बांग्लादेश और भारत के बीच तनाव का एक मुद्दा बना क्योंकि भारत ने उनकी गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की। हसीना के भारत चले जाने के बाद 8 अगस्त को मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पद संभाला।
विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 26 नवंबर को नई दिल्ली में कहा, ‘‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी व तोड़फोड़ तथा देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांग करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं।’’ भारत ने साथ ही बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
इससे पहले, हिंदू समुदाय के नेता के वकील उनकी जमानत हासिल करने में असफल रहे थे क्योंकि चटगांव की निचली अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। बांग्लादेश के पूर्व उप अटार्नी जनरल अपूर्व कुमार भट्टाचार्य यहां के उच्चतम न्यायालय के 11 वकीलों की टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जो दास का मुकदमा लड़ रही थी।