बनगांव : ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 86 हजार नाम गायब!

Bangaon: 86,000 names missing from the draft voter list!
सांकेतिक फोटो REP
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

बनगाँव: पश्चिम बंगाल में विशेष सघन संशोधन प्रक्रिया (SIR) के तहत मतदाता सूची का मसौदा (Draft Voter List) जारी होने के बाद मतुआ बहुल बनगाँव उपमंडल में राजनैतिक और सामाजिक तनाव बढ़ गया है। मसौदा सूची के सार्वजनिक होते ही यह खुलासा हुआ है कि बनगाँव अंचल के चार प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों—बनगाँव उत्तर, बनगाँव दक्षिण, गाईघाटा और बागदा—में लगभग 86,175 लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। इस विशाल संख्या में बड़ी तादाद उन लोगों की है जो खुद को मतुआ शरणार्थी समुदाय से संबंधित बताते हैं, जिससे क्षेत्र में भय और अनिश्चितता का माहौल है।

स्थानीय भाजपा नेतृत्व ने विशेष संशोधन प्रक्रिया शुरू होने के दौरान मतुआ समुदाय को यह कहकर आश्वस्त किया था कि SIR के तहत किसी भी वैध मतदाता का नाम नहीं काटा जाएगा। हालाँकि, मसौदा सूची के इस आंकड़े ने भाजपा के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस स्थिति का फायदा उठाते हुए स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेतृत्व ने भाजपा पर तीखा हमला किया है। तृणमूल नेताओं का दावा है कि "हम शुरू से ही आगाह कर रहे थे कि केंद्र की सत्ताधारी भाजपा SIR का इस्तेमाल मतुआ शरणार्थी लोगों को बाहर निकालने की एक व्यापक साज़िश के तहत कर रही है, और यह मसौदा सूची इसका अकाट्य प्रमाण है।"

जारी आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि नाम हटाने की यह प्रक्रिया असंतुलित रही है। सर्वाधिक 26,000 से अधिक नाम अकेले बनगाँव उत्तर विधानसभा केंद्र से हटाए गए हैं, जिसके बाद बागदा केंद्र का स्थान है जहाँ से 24,927 मतदाताओं के नाम गायब हैं।

मतुआओं में बढ़ी ​चिंता, भाजपा पर झूठे वादे का आरोप

मतदाता सूची से नाम कटने के बाद मतुआ ठाकुरबाड़ी से जुड़े भक्त बंशीबदन विश्वास, रमों मंडल और चित्तरंजन विश्वास जैसे कई स्थानीय लोग गहरे सदमे और चिंता में हैं। वे सवाल उठा रहे हैं कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत आवेदन करने के बावजूद उन्हें नागरिकता नहीं मिली, तो उनका भविष्य क्या होगा। उन्होंने सार्वजनिक रूप से डिटेंशन कैंप भेजे जाने के अपने डर को व्यक्त किया है।

इस गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, बनगाँव के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर (भाजपा) ने तर्क दिया कि सूची से हटाए गए नाम मुख्य रूप से 'अस्तित्वहीन मृत मतदाता और घुसपैठिए' हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से यह टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या हटाए गए नामों में मतुआ शरणार्थी भी शामिल हैं।

दूसरी ओर, तृणमूल की राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर और सीपीएम के केंद्रीय समिति सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने एक स्वर में भाजपा पर मतुआ समुदाय के खिलाफ साज़िश रचने का आरोप लगाया है। दोनों नेताओं ने चेतावनी दी है कि वे इस 'अन्याय' के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन करेंगे और ज़रूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है और मतुआ समुदाय का भविष्य एक बार फिर चुनावी बहस का केंद्र बन गया है।

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