नयी दिल्ली : केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दर्द निवारक औषधियों ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’ के सभी संयोजनों के उत्पादन और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
नशे के लिए इस्तेमाल किये जाने का खतरा
यह कदम उन खबरों के आधार पर उठाया गया जिनमें कहा गया था कि पश्चिम अफ्रीकी देशों को निर्यात की जाने वाली अस्वीकृत संयोजनों की इन औषधियों के कारण वहां ओपिओइड संकट उत्पन्न हो रहा है। इन दर्द निवारक दवाओं का मादक पदार्थों के तौर पर नशे के लिए इस्तेमाल किये जाने का खतरा रहता है।
डीसीजीआई का राज्यों को निर्देश
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने एक पत्र में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रण प्राधिकरणों से सभी निर्यात अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) और दोनों दवाओं के सभी संयोजनों के निर्माण की अनुमति वापस लेने को कहा है।
क्या हैं ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’
‘टेपेंटाडोल’ एक ओपिओइड दवा है जिसका उपयोग मध्यम से गंभीर दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। ‘कैरीसोप्रोडोल’ मांसपेशी को आराम देने वाली एक दवा है जो दर्द से राहत दिलाने के लिए मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के केंद्रों पर काम करती है। इन दोनों दवाओं को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा व्यक्तिगत रूप से अनुमोदित किया गया है लेकिन देश में संयोजन के रूप में अनुमोदित नहीं किया गया है। इसके अलावा वे भारत में एनडीपीएस औषधियों की सूची का हिस्सा नहीं हैं।
डीसीजीआई ने क्या कहा
डीसीजीआई द्वारा राज्यों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि यह बीबीसी के एक हालिया लेख के संबंध में है, जिसमें लिखा गया है कि ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’ के संयोजन वाली दवा के दुरुपयोग की काफी संभावना है और इस संयोजन को भारत से पश्चिम अफ्रीकी देशों में निर्यात किया जा रहा है।लोगों पर इसके हानिकारक प्रभाव की संभावना को देखते हुए डीसीजीआई ने ‘टेपेंटाडोल’ और ‘कैरीसोप्रोडोल’ के सभी संयोजनों के लिए जारी सभी निर्यात एनओसी और विनिर्माण की अनुमति को तत्काल वापस लेने का अनुरोध किया है।