ध्वजारोण समारोह को लेकर लोक संगीत और नृत्य से सराबोर रही अयोध्या

श्री राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह में 500 से अधिक कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति दी
ध्वजारोण समारोह को लेकर लोक संगीत और नृत्य से सराबोर रही अयोध्या
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अयोध्या/लखनऊः अयोध्या में श्री राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह में 500 से अधिक स्थानीय कलाकारों ने मनभावन प्रस्तुति दी। अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भव्य ध्वजारोहण से जुड़े समारोह को लेकर पावन नगरी उल्लास में डूबी रही।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरिमामय उपस्थिति वाले इस ऐतिहासिक आयोजन पर उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक आयोजन ने रामनगरी को दिव्यता के आलोक से आलोकित किया। संगीत, नृत्य, लोक कलाओं और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों के बीच 500 से अधिक कलाकारों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं।

भांति-भांति की सांस्कृतिक झलकियां निरंतर गूंजती रहीं

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के हवाले से कहा गया कि संस्कृति विभाग की ओर से 24 और 25 नवंबर को विभिन्न विधा के स्थानीय कलाकारों ने मनभावन प्रस्तुतियां दीं। प्रधानमंत्री के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के मंत्र को साकार करते हुए अयोध्या के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग विधाओं की सांस्कृतिक झलकियां निरंतर गूंजती रहीं, जो शहर की प्राचीन परंपराओं को नए आयाम देती दिखाई दीं।

अयोध्या में दिखा लोक परंपराओं का संगम

ध्वजारोहण के अवसर पर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए लोक कलाकारों ने रंगारंग प्रस्तुति दी। अयोध्या धाम में अलग-अलग मंच पर ब्रज, अवध, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और तराई क्षेत्रों की विविध लोक परंपराओं का संगम देखने को मिला। मथुरा से मयूर लोक नृत्य, झांसी से राई लोक नृत्य, अयोध्या से फरुवाही, बधावा और करवाहा लोकनृत्य, लखनऊ से अवधी, सोनभद्र से करमा और बारह सिंहा, प्रयागराज से ढेढ़िया, आजमगढ़ से धोबिया, गोरखपुर के वनटांगिया लोकनृत्य में कलाकारों ने रंगारंग प्रस्तुति दी।

सूफी और भजन गायन भी दिखा

प्रत्येक नृत्य शैली में 15 लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। लखनऊ स्थित भातखंडे संस्कृति महाविद्यालय की ओर से दक्ष कलाकारों ने शहनाई, सारंगी, पखावज, बांसुरी, सरोद और सितार की सुरमयी प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। इसके अलावा, सूफी गायन, भजन गायन, ब्रज के लोक गायन, भजन गायन (बैंड प्रस्तुति) ने भी उपस्थित जनों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। गायन के प्रत्येक दल में सात से 12 कलाकार रहे।

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