कोलकाता: अंधविश्वास और कुप्रथाओं से मुक्त, तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच पर आधारित भारत के निर्माण के उद्देश्य से कोलकाता में पहली बार नास्तिक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन 5 नवम्बर, बुधवार को सुबह 10 बजे से राजा बाजार स्थित राममोहन लाइब्रेरी हॉल में होगा।
कार्यक्रम का आयोजन ‘नास्तिक मंच’ की ओर से किया जा रहा है, जो लंबे समय से समाज में तर्क, विज्ञान और समानता की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए सक्रिय है। सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य कुप्रथा विरोधी कानून के प्रवर्तन, धर्म आधारित शासन और जातिवादी व्यवस्था के विरोध तथा भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) की धारा 299 को निरस्त करने की मांग को आगे बढ़ाना है।
'नास्तिक मंच' के महासचिव प्रताप चंद्र दास ने कहा, इस सम्मेलन के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधविश्वास, धर्म के नाम पर हिंसा, भेदभाव और असमानता के खिलाफ एक संगठित आवाज बुलंद करना हमारा मकसद हैं। उनका मानना है कि स्वतंत्रता और समानता की दिशा में तर्क और विज्ञान ही समाज को सही मार्ग दिखा सकते हैं।
हालांकि दास ने कहा कि इस देश में नास्तिकों के लिए रैलियां या सभाएं करना आज भी आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि 'नास्तिक मंच' वास्तव में 'चार्वाक दर्शन' से प्रेरित है और अब तक नवद्वीप, नदिया और उत्तर 24 परगना के अन्य भागों में दर्जनों सम्मेलनों का आयोजन कर चुका है, जिसमें उग्रवादियों से मिली धमकियों के बावजूद अच्छी संख्या में लोग शामिल हुए थे।
यह पहली बार है जब वे कोलकाता में कदम रख रहे हैं और कार्यक्रम स्थल पर लगभग 600-700 लोगों के आने की उम्मीद है। संगठन ने कोलकाता में पुलिस सुरक्षा की भी मांग करने की योजना बनाई है। सम्मेलन में विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों, तर्कवादी विचारकों, वैज्ञानिकों और युवा कार्यकर्ताओं की भागीदारी की उम्मीद है।