चाथम कॉजवे ब्रिज की मरम्मत के लिए एपीडब्ल्यूडी ने आमंत्रित की निविदाएं

1919 में निर्मित पुल में संरचनात्मक क्षति, यातायात प्रभावित
चाथम कॉजवे ब्रिज की मरम्मत के लिए एपीडब्ल्यूडी ने आमंत्रित की निविदाएं
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सन्मार्ग संवाददाता
श्री विजयपुरम : अंडमान एवं निकोबार प्रशासन के लोक निर्माण विभाग (APWD) ने श्री विजयपुरम स्थित चाथम कॉजवे ब्रिज की मरम्मत के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। यह पुल श्री विजयपुरम शहर और चाथम द्वीप के बीच एकमात्र महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है, जो न केवल स्थानीय आवागमन के लिए बल्कि आपातकालीन और वाणिज्यिक परिवहन के लिए भी अहम माना जाता है।

निविदा प्रक्रिया 9 दिसंबर 2025 को जारी की गई थी और इसे 2 जनवरी 2026 को खोला जाएगा। पुल की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। वर्ष 1919 में निर्मित इस पुल पर दशकों से भारी यातायात और प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के कारण संरचनात्मक नुकसान पहुंचा है। एनआईटी तिरुचिरापल्ली की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से सिफारिश की गई है कि पुल को सुरक्षित रूप से पुनः संचालित करने हेतु आवश्यक मरम्मत और सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए।

स्थानीय लोग वर्षों से पुल की खराब स्थिति के कारण आवागमन में परेशानियों का सामना कर रहे थे। सड़कों और पुल की कमजोर संरचना के कारण यात्रा में देरी और सुरक्षा जोखिम बढ़ गया था। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने पुल की मरम्मत की योजना बनाई है। यह कदम न केवल स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि यातायात की निरंतरता और आपातकालीन सेवाओं की सुचारु संचालन क्षमता भी बनाए रखेगा।

लोक निर्माण विभाग का कहना है कि निर्माण कार्यों के दौरान और उसके बाद भी सुरक्षित और सुविधाजनक संपर्क बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएंगे। मरम्मत कार्य में आधुनिक निर्माण तकनीकों का उपयोग किया जाएगा और संरचनात्मक मजबूती को प्राथमिकता दी जाएगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस पहल से श्री विजयपुरम और चाथम द्वीप के बीच निर्बाध आवागमन बहाल होगा और यात्रा संबंधी परेशानियों में उल्लेखनीय कमी आएगी। इसके साथ ही, यह परियोजना स्थानीय लोगों के लिए सुविधा और आर्थिक गतिविधियों के प्रवाह को भी बढ़ावा देगी।

इस प्रकार, चाथम कॉजवे ब्रिज की मरम्मत न केवल ऐतिहासिक संरचना को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि पर्यटन, व्यवसाय और स्थानीय जीवन को भी राहत प्रदान करेगी। केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने इसे एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार योजना के रूप में देखा है।

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