

नई दिल्ली - आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बावजूद अंकिता भंडारी हत्याकांड के दोषियों के चेहरे पर किसी तरह का पछतावा नजर नहीं आया। कोर्ट के अंदर और बाहर, उनकी भाव-भंगिमा से साफ झलक रहा था कि उन्हें अपने अपराध पर कोई शर्मिंदगी नहीं है। उनकी बॉडी लैंग्वेज ऐसी थी जैसे अदालत के फैसले का उन पर कोई असर ही न हुआ हो। यहां तक कि जब सौरभ भास्कर कोर्ट से बाहर निकला, तो पुलिस वाहन में बैठने से पहले वह आम लोगों की ओर हाथ हिलाकर मुस्कराता हुआ अभिवादन करता दिखा। इस मामले के मुख्य आरोपी पुलकित आर्य को शुक्रवार सुबह करीब 9 बजे भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अल्मोड़ा जेल से कोटद्वार की अदालत में लाया गया। कुछ समय बाद टिहरी जेल में बंद सौरभ भास्कर को भी कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट पेशी के लिए लाया गया।
तीनों अंकिता भंडारी की हत्या में दोषी करार
करीब साढ़े 10 बजे देहरादून जेल से पुलिस टीम अंकित गुप्ता को लेकर कोर्ट पहुंची। इसके बाद करीब 11 बजे तीनों आरोपियों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया। लगभग 15 मिनट की सुनवाई के बाद न्यायाधीश रीना नेगी ने तीनों को अंकिता भंडारी की हत्या का दोषी ठहराया। इसके बाद सजा पर बहस शुरू हुई, जिसमें बचाव पक्ष के वकील जीतेंद्र रावत ने अदालत से न्यूनतम सजा देने की अपील की।
दोपहर लगभग डेढ़ बजे अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए तीनों को सजा सुनाई। सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लगभग एक घंटे बाद दोषियों को अदालत से बाहर लाया गया। इस पूरे समय के दौरान दोषियों के चेहरे पर न तो कोई पछतावा दिखा और न ही उनके हावभाव में अपराधबोध की कोई झलक थी। बल्कि वे आत्मविश्वास से भरे और हंसते-मुस्कराते नजर आए। अदालत से बाहर निकलते समय अगर अंकित को छोड़ दें, तो पुलकित और सौरभ भास्कर के चेहरों पर सजा को लेकर कोई तनाव या चिंता नहीं दिखी। जब सौरभ की नजर मीडिया और आम लोगों पर पड़ी तो उसने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ हाथ हिलाया। वहीं पुलकित के चेहरे पर भी कोई दुख या पछतावे का भाव नहीं था।