और ब्याह का तय दिन गुजर गया, इंतजार करते रह गए

और ब्याह का तय दिन गुजर गया, इंतजार करते रह गए
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सन्मार्ग संवाददाता

श्री विजयपुरम : असमा अलेतार का ब्याह 20 मई को होना तया था। इसकी याद दिलाने के लिए ब्याह के परिधान और सरोसामान भर नयी दिल्ली के कनात में रह गए हैं। असमा और उसकी मां उन 40 रोहंगियों में शामिल हैं जिन्हें अंडमान में रखा गया है। उसके चाचा अफसोस जताते हुए कहते हैं कि बेहतर होता हो हमें ले गए होते। उसके पिता के निधन के बाद से उसे पाला है। एक बार तो उसे सामूहिक हत्या से बचाया था। उसे वे कैसे हमसे छीन सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के थोमस एंड्र्यूज इस मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से रोहंगिया शरणार्थियों के मामले में मानवीय रुख अख्तियार करने की अपील की है। उन्होंने अपील की है कि उन्हें म्यांमार नहीं भेजा जाए। उन्हें म्यांमार भेजा जाना मानवीय मूल्यों के विपरीत होगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून भी इसकी अनुमति नहीं देता है। इसके तहत शरणार्थियों को उन देशों में नहीं भेजा जाना चाहिए जहां उनकी जान को खतरा हो। अब यह बात दीगर है कि सुप्रीम कोर्ट ने रोहंगियों को वापस भेजे जाने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस बाबत दायर पीटिशन में कोई दम नहीं है। इस सवाल का स्पष्ट जवाब नहीं है कि क्या रोहंगिया शरणार्थी हैं। बेंच ने इसकी सुनवायी के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की है। रोहंगिया एक ऐसी कौम है जिनके पास अपना कोई देश नहीं है। भारत में करीब सात सौ रोहंगिया हिरासत में हैं।

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