

कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट के तीनों बार : बार एसोसिएशन, बार लाइब्रेरी क्लब और लॉ इनकॉरपोरेटेड सोसाइटी : ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें अपील की गई है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को कलकत्ता हाई कोर्ट में नियुक्त नहीं किया जाए। इस पत्र में उनसे जुड़े कई सवालों को उठाया गया है। इसके साथ ही इस पत्र में उद्धृत किया गया है कि न्याय सिर्फ किया ही नहीं जाना चाहिए बल्कि किए जाते हुए दिखना भी चाहिए। इस पत्र में कहा गया है कि वे नियमित रूप से तबादला किए जाने के बारे में अवगत हैं, पर उनके पास यह मानने की पर्याप्त वजह है कि जस्टिस शर्मा का तबादला इस श्रेणी में नहीं आता है। जज के कामकाज को लेकर लगाए गए कुछ आरोपों के मद्देनजर यह तबादला किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस शर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में हम अवगत है और हम यह मानते हैं कि आप भी इससे वाकिफ हैं। ये आरोप बेहद परेशान करने वाले हैं। पत्र में कहा गया है कि वे इसके तह में नहीं जा रहे हैं, क्योंकि यह आपके कार्यलय में भी उपलब्ध हैं। सोशल मीडिया पर उपलब्ध 2024 के अक्टूबर और नवंबर के ई-मेल की प्रतिलिपियां इस पत्र के साथ आपको भेजी जा रही हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट देश का सबसे प्राचीन कोर्ट है। वह यह उम्मीद नहीं करता है कि सवालिया छवि वाले जजों और उन जजों को यहां भेजा जाए जिनका कार्यकाल बहुत थोड़ा सा रह गया है। उन्हें यहां न्याय का बेहतर प्रबंधन का हवाला देते हुए भेजा गया था, पर सच तो यह है कि वे यहां डंपिंग ग्राउंड में डाल दिए गए थे। इस सिलसिले में कई जजों का हवाला भी दिया गया है। इस तरह के अल्प कार्यकाल के जजों की तैनाती से न तो न्यायिक प्रक्रिया पर कोई सार्थक असर पड़ता है और न ही न्यायिक प्रबंधन बेहतर बन पाता है। इस सिलसिले में पूर्व जस्टिस सी एस करनान का हवाला दिया गया है। चीफ जस्टिस से अपील की गई है कि कलकत्ता हाई कोर्ट से अन्य हाई कोर्ट में भेजे गए जजों में से कुछ को यहां वापस भेज दिया जाए। इस पत्र पर बार एसोसिएशन के सचिव शंकर प्रसाद दलपति, बार लाइब्रेरी क्लब के सचिव सब्यसाची चौधरी और इनकॉरपोरेटेड लॉ सोसाइटी के सचिव परितोष सिन्हा ने दस्तखत किए हैं।