बारामती में कृषि में क्रांति ला रही है एआई

बारामती में कृषि में क्रांति ला रही है एआई
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मुंबई/कोलकाता: माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन और सीईओ सत्य नडेला ने एक सोशल मीडिया पोस्ट से मचा दी, जब उन्होंने कृषि में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) की परिवर्तनकारी भूमिका के बारे में एक पोस्ट साझा की। बारामती में कृषि विकास ट्रस्ट के अग्रणी कार्य को उजागर करती इस पोस्ट ने तुरंत ही अमेरिकी अरबपति एलन मस्क का ध्यान खींचा, जिन्होंने बस इतना कहा, ‘एआई सब कुछ सुधार देगा।

2023 से, पुणे जिले में प्रोजेक्ट फार्म वाइब्स के बैनर तले एक महत्वाकांक्षी प्रयोग चल रहा है - माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च द्वारा विकसित कृषि-केंद्रित तकनीकों का एक क्रांतिकारी सूट। इन उपकरणों के हाल ही में ओपन-सोर्सिंग के साथ, शोधकर्ताओं, डेटा वैज्ञानिकों, किसानों और छात्रों के पास अब कच्चे कृषि डेटा को कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि में बदलने का अवसर है जो पैदावार बढ़ाने और लागत घटाने का दावा करती है।

सत्य नडेला ने एक्स पर इस परिवर्तनकारी यात्रा का सार बताते हुए कहा, ‘एक उदाहरण जिसे मैं बताना चाहता हूं, वह है बारामती को-ऑपरेटिव का हिस्सा रहे छोटे किसानों में से एक का। आप इस शक्तिशाली तकनीक को अपना कर अच्छा प्रभाव डाल सकते हैं, जहां एक छोटा ज़मीन मालिक अपनी ज़मीन की उपज में सुधार कर सकता है। रसायनों में कमी, पानी के उपयोग में सुधार और अंततः उपज बढ़ने के जो आंकड़े उन्होंने बताए, वे अभूतपूर्व थे। इनमें से एक चीज़ सेंसर फ़्यूज़न है। हम दशकों से इसके बारे में बात कर रहे हैं। यह भू-स्थानिक डेटा, ड्रोन से स्थानिक-अस्थायी डेटा, उपग्रहों से, मिट्टी से सभी को वास्तविक समय में कनेक्ट करना, फिर उस पर एआई लागू करना और फिर उसे उस किसान के लिए ज्ञान में बदलना है जो अपनी स्थानीय भाषा में सवाल पूछ रहा है। यह देखना बहुत ही अद्भुत है।"

इस नवाचार को आगे बढ़ाने वाले पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार, प्रतापराव पवार और अजीत जौकर व ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से उनकी टीम हैं। बारामती में कृषि विकास ट्रस्ट के सीईओ नीलेश नलवाडे ने कहा, ‘हमने 2022 में माइक्रोसॉफ्ट के साथ इस पर काम करना शुरू किया। अभी हम 1000 किसानों के साथ प्रयोग कर रहे हैं और जल्द ही हम इस प्रयोग को 50,000 किसानों तक ले जाना चाहते हैं।’

अत्याधुनिक समाधान: प्रोजेक्ट फ़ार्म वाइब्स एज़्योर डेटा मैनेजर फ़ॉर एग्रीकल्चर (एडीएमए) जैसे अत्याधुनिक समाधानों का लाभ उठाता है, जो उपग्रहों, मौसम प्रदाताओं और ज़मीनी सेंसर से डेटा इकट्ठा करता है, जिससे खेत की स्थितियों का व्यापक दृश्य बनता है। इसके पूरक के रूप में, फार्मवाइब्स.एआई महत्वपूर्ण मापदंडों- मिट्टी की नमी, तापमान, आर्द्रता, पीएच, और अन्य की निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है- जबकि एग्रीपायलट.एआई किसानों को संधारणीय खाद्य उत्पादन के लिए कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करने के लिए एज्योर मैप्स और एज्योर ओपनएआई का उपयोग करता है। ज़मीन पर इसका प्रभाव गजब रहा है।

फसल उत्पादन में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, साथ ही स्पॉट उर्वरक तकनीक की बदौलत उर्वरक लागत में 25 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा, पानी की खपत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है, और कटाई के बाद की बर्बादी में 12 प्रतिशत से अधिक की कमी देखी गई है। ये नवाचार न केवल छोटे भूस्वामियों के लिए अधिक उत्पादकता और लाभप्रदता का वादा करते हैं, बल्कि पानी की बर्बादी, मिट्टी के कटाव, वनों की कटाई, रासायनिक अपवाह और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोककर पर्यावरणीय लाभ भी प्रदान करते हैं।

लंबा और मोटा गन्ना

इन तकनीकों का शानदार प्रदर्शन है जहां एक गन्ने के परीक्षण भूखंड पर ऐसे गन्ने उगे जो लंबे और मोटे थे - कटाई के समय 30 से 40 प्रतिशत अधिक वजन था और 20 प्रतिशत अधिक सुक्रोज सामग्री यानी अधिक चीनी प्रदान करते हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि इस खेत में पानी और उर्वरक की कम आवश्यकता पड़ी तथा फसल चक्र 18 महीने से घटकर मात्र 12 महीने का रह गया, जिससे कृषि दक्षता के लिए एक नया मानक स्थापित हुआ।

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