भगवान गणेश की आरती के बाद बोल दें ये 3 शब्द, भाग्योदय के साथ … | Sanmarg

भगवान गणेश की आरती के बाद बोल दें ये 3 शब्द, भाग्योदय के साथ …

कोलकाता : हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने का बड़ा महत्व है। ज्यादातर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत अपने आराध्य भगवान की पूजा अर्चना, आरती और नाम से ही करते हैं, लेकिन सभी पूजा अर्चना में गणेश जी की पूजा सबसे पहले जरूर की जाती है। उन्हें प्रथम पूजा पूज्य माना गया है। गणपति जल्द प्रसन्न भी हो जाते हैं और भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं, लेकिन अगर भगवान अगर क्रोधित हो जाएं तो किसी भी व्यक्ति को राजा से रंक बना सकते हैं। विघ्नहर्ता कहे जाने वाले भगवान गणेश रोद्र रूप भी है, जो शिवपुराण में बताया गया है। वहीं शिवपुराण के अनुसार, भगवान गणेश जी की पूजा में इन 3 शब्दों को बोलने से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं। अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। आइए जानते हैं गणेश जी की पूजा करते समय किन तीन शब्दों को बोलना चाहिए, जिससे भगवान व्यक्ति की हर मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं।
शिव पुराण से लेकर गणेश पुराण में बताया गया है कि भगवान गणेश जी जल्द प्रसन्न होने वाले देवों में से एक हैं। उनकी पूजा में अगर कुछ बातों का विशेष ध्यान दिया जाये तो भगवान भक्त के हर विघ्न हरने के साथ ही मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। ऐसे में जब आप गणेश उत्सव के दौरान घर में गणपति की स्थापना करते हैं तो वह किसी भी समय आपके घर में आ जाते हैं। ऐसे में भक्त को पता भी नहीं चलता कि भगवान आपके घर में कब आ गये। इसी लिए कहा जाता है कि गणपति बप्पा की पूजा करने के बाद गणेश जी की आरती करें और अज्ञारी जरूर जलाये।

गणेश जी की पूजा के बाद जरूर बोलें ये 3 शब्द

भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना से लेकर आरती में आज्ञारी जरूर जलानी चाहिए। इसके लिए गाय के गोबर से बना कंडा और गुग्गल डाल लें। इसके साथ ही तीन शब्दों का जाप जरूर करें। ये तीन शब्द धूम्रवर्ण विनायक बैठो हैं। यह बोलने से गणपति बप्पा जब भी घर में आएंगे तो विराजमान होंगे। आपकी पूजा अर्चना को स्वीकार करेंगे। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का विस्तार करेंगे।
जानें कौन से धूम्रवर्ण
गणेश पुराण के अनुसार, गणेश जी की पूजा अर्चना में धूम्रवर्ण विनायक बैठो जरूर बोलना चाहिए। धूम्रवर्ण भगवान गणेश जी का ही एक रूप हैं। धूम्रवर्ण गणेश जी का आठवां अवतार माना जाता है। इस अवतार में भगवान गणेश ने अंहतासुर नाम के दैत्य का सर्वनाश किया था।

 

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