नयी दिल्ली : अफगानिस्तान के विदेशमंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के सत्ता से हटने और तालिबान के सत्ता अपने हाथ में लेने के चार साल बाद तालिबान सरकार के किसी नेता की काबुल से भारत की यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है।
दारुल उलूम देवबंद मदरसा भी जायेंगे
मामले के जानकार लोगों ने बताया कि मुत्तकी अपनी छह दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेशमंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर कहा कि हम मौलवी मुत्तकी के साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हैं। सूत्रों के अनुसार मुत्तकी के कार्यक्रमों में दारुल उलूम देवबंद मदरसा का दौरा और ताजमहल की यात्रा शामिल है।
यूएनएससी से मिली छूट से संभव हुआ दौरा
मुत्त्की का पिछले महीने नयी दिल्ली का दौरा निर्धारित था लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रतिबंधों के तहत उन पर लगे यात्रा प्रतिबंध के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र के एक बयान के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समिति ने 30 सितंबर को मुत्तकी को नौ से 16 अक्टूबर तक नयी दिल्ली की यात्रा की अनुमति देते हुए यात्रा प्रतिबंध में अस्थायी छूट को मंजूरी दे दी है।
तालिबान नेताओं को विदेश यात्राओं के यूएनएससी की मंजूरी जरूरी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सभी प्रमुख तालिबान नेताओं पर प्रतिबंध लगाये थे और उन्हें विदेश यात्राओं के लिए यात्रा मंजूरी हासिल करना जरूरी होता है। मुत्तकी की भारत यात्रा से काबुल में तालिबान के साथ भारत के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है। विदेशमंत्री एस जयशंकर ने 15 मई को मुत्तकी से फोन पर बातचीत की थी। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से यह भारत और अफगानिस्तान के बीच शीर्ष स्तर का संपर्क था। भारत ने अब तक तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी है और वह काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन की वकालत करता रहा है।