

कोलकाता: महाष्टमी की शाम, जब पूरे राज्य में संधिपूजा चल रही थी और नवमी तिथि की शुरुआत हो चुकी थी, उसी समय तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने अपनी बेटी अज़ानिया के साथ कोलकाता और आसपास के इलाकों में दुर्गा पूजा पंडालों का दौरा किया। थोड़ी देर पहले हुई हल्की बारिश के बावजूद पंडालों में भारी भीड़ उमड़ी थी, और अभिषेक की उपस्थिति ने माहौल को और भी जीवंत बना दिया।
मंगलवार को उनकी पहली यात्रा दमदम के जयश्री दुर्गा पूजा समिति में हुई, जिसका थीम था – भाजपा शासित राज्यों में बंगाली मजदूरों पर अत्याचार। यहां अभिषेक ने 11 श्रमिकों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने उन्हें उपहार भी दिए और उनके साथ सड़क किनारे फुचका (गोलगप्पे) भी खाए। इसी दौरान वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय से भी उनकी मुलाकात हुई, जिनके पैर छूकर अभिषेक ने आशीर्वाद लिया।
इसके बाद वे बागुईआटी के अश्विनीनगर 'बंधु महल' पूजा समिति पहुंचे, जहां का थीम बंगाल और इसकी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित था। यहां उन्होंने गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर, राजा राममोहन राय जैसे महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित की और बंगाल के गौरवशाली अतीत को नमन किया। आम तौर पर अभिषेक बनर्जी बड़े आयोजनों में कम ही सार्वजनिक रूप से नजर आते हैं, लेकिन इस बार दुर्गा पूजा पंडालों में उनकी मौजूदगी को विश्लेषक एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
इससे पहले महाष्टमी की सुबह अभिषेक ने सोशल मीडिया पर एक काव्यात्मक पंक्ति - 'तिमिर द्वार खोलो, एसो एसो नीरव चरणे' के साथ लोगों को शुभकामनाएं दीं। राजनीतिक हलकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अभिषेक का यह दौरा न केवल सांस्कृतिक और मानवीय जुड़ाव का प्रतीक था, बल्कि एक गहरा राजनीतिक संदेश भी लिए हुए था — जो बंगाल की अस्मिता, श्रमिकों की स्थिति और आगामी भविष्य की दिशा की ओर इशारा करता है।