पर्यटकों के नरसंहार के माहभर बाद पहलगाम में लोग गिना रहे आजीविका के नुकसान

लोगों की आजीविका पर मंडरा रहा है संकट
पर्यटकों के नरसंहार के माहभर बाद पहलगाम में लोग गिना रहे आजीविका के नुकसान
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पहलगाम : दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर भीषण आतंकी हमले के एक महीने बाद स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है जबकि आतंकवादी सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें पकड़ने के लिए शुरू की गयी व्यापक कार्रवाई से बचने में सफल रहे हैं।

अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि 22 अप्रैल को बैसरन मैदान में हुए भीषण हमले के बाद शुरू किये गये विभिन्न अभियानों में कई शीर्ष आतंकवादी मारे गये हैं लेकिन (बैसरन) हत्याकांड को अंजाम देने वाले आतंकवादी सुरक्षा बलों की पकड़ से बाहर हैं। पहलगाम के खूबसूरत बैसरन मैदान में 22 अप्रैल को आतंकवादी घुस आये और उन्होंने 25 पर्यटकों एवं उन्हें बचाने की कोशिश करने वाले एक स्थानीय व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी हालांकि इन आतंकवादियों की सही संख्या का पता नहीं चल पाया है लेकिन सूत्रों ने बताया है कि चार से छह आतंकवादी थे। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बल इन आतंकवादियों की धर-पकड़ के लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। इस बीच पहलगाम और आस-पास के इलाकों में रह रहे लोग पर्यटकों के नहीं आने से हो रहे अपने नुकसान को गिना रहे हैं।

टूर ऑपरेटर नासिर अहमद ने कहा कि यह जगह वीरान दिखती है। पहलगाम में हर दिन हजारों पर्यटक आते थे, जिससे दुकानदारों, सड़क किनारे सामान बेचने वालों, टट्टू वालों, टैक्सी चालकों और होटल व्यवसायियों समेत सभी को आजीविका के अवसर मिलते थे। उन्होंने कहा कि 1990 के दशक के प्रारंभ में आतंकवाद के चरम पर पहुंचने पर भी पहलगाम में इतनी वीरानी नहीं थी। सबसे बुरे दौर में हम स्थानीय आगंतुकों (कश्मीरियों) की मेजबानी करते थे जो अर्थव्यवस्था को सहारा प्रदान करता था हालांकि इस बार स्थानीय आगंतुक भी नहीं आ रहे हैं। दुकानदार मोहम्मद इरशाद ने कहा कि पर्यटन से आजीविका चलाने वालों के लिए स्थिति निराशाजनक होने लगी है।

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