धर्मेंद्र के वे 10 मशहूर डायलॉग जिन्हें कभी नहीं भुला पाएंगे आप...

‘बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना’...एक ऐसा डायलॉग है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी बोलती रही है।
धर्मेंद्र के वे 10 मशहूर डायलॉग जिन्हें कभी नहीं भुला पाएंगे आप...
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कोलकाताः हिंदी फिल्मों में ही-मैन के नाम से लोकप्रिय अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। कुछ समय से बीमार चल रहे धर्मेंद्र ने आज सुबह मुंबई में अपने घर में आखिरी सांस ली। धर्मेंद्र के निधन से एक युग का अंत हो गया। इसलिए आज उनके निधन पर भारतीय फिल्म जगत और उनके प्रशंसक दुखी हैं। उनके निधन की खबर आने के बाद से उनके प्रति श्रद्धांजलि जताने का सिलसिला जारी है। भले आज 89 वर्षीय धर्मेंद्र ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है लेकिन उनकी याद ताजा रहेगी। खास कर अपने जोशीले डायलॉग के लिए धर्मेंद्र याद किये जाएंगे।

आइये हम धर्मेंद्र के उन डायलॉगों को याद करते हैं जिन्होंने कई पीढ़ियों को रोमांचित किया है। पेश हैं उनके 10 दमदार डायलॉगः

‘बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना’ (फिल्म – शोले – 1975)

2. ‘कुत्ते कमीने! मैं तेरा खून पी जाऊंगा’, (फिल्म – यादों की बारात – 1973)

3. ‘एक-एक को चुन-चुन के मारूंगा… चुन-चुन के मारूंगा’, (फिल्म – शोले – 1975)

4. ‘ओए! इलाका कुत्तों का होता है, शेर का नहीं’, (फिल्म – यमला पगला दीवाना – 2011)

5. ‘अगर तकदीर में मौत लिखी है तो कोई बचा नहीं सकता, अगर जिंदगी लिखी है तो कोई माई का लाल मार नहीं सकता’, (फिल्म – धरम वीर – 1977)

6. ‘कभी जमीन से बात की है ठाकुर? ये जमीन हमारी मां है’, (फिल्म – गुलामी – 1985)

7. ‘इस कहानी में इमोशन है, ड्रामा है, ट्रैजेडी है’, (फिल्म – शोले – 1975)

8. ‘ये दुनिया बहुत बुरी है शांति, जो कुछ देती है बुरा बनने के बाद देती है’, (फिल्म – फूल और पत्थर – 1966)

9. ‘यह तो सो रहा था अमन का, बादलों को अपना तकिया बनाकर, इसे जगाया भी तुमने है और उठाया भी तुमने है.’, (फिल्म – जीने नहीं दूंगा – 1984)

10. ‘किसी भी भाषा का मज़ाक उड़ाना घटियापन है और मैं वही कर रहा हूं’, (फिल्म – चुपके चुपके – 1975)

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