

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को चलती कार में हुए धमाके में 8 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 20 से अधिक लोगों के घायल हुए हैं। इस घटना को आतंकी हमले से जोड़ कर दिखा देखा जा रहा है। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने घटना स्थल का दौरा किया। हालांकि उन्होंने तत्काल इसे आतंकी हमला नहीं कहा लेकिन हर संभावना पर इसकी जांच कराने की बात कही। बताया जा रहा है कि इसको लेकर गृह मंत्रालय में मंगलवार को बड़ी मीटिंग हो सकती है। मीटिंग की अध्यक्षता गृह मंत्रह अमित शाह करेंगे। बैठक में सुरक्षा से जुड़े तमाम आला अधिकारियों के मौजूद रहेंगे। राजधानी दिल्ली इससे पहले भी ऐसी कई घटनाओं से दहल चुकी है। एक दशक से अधिक समय से दिल्ली में इस तरह की बड़ी घटना नहीं घटी थी, लेकिन सितंबर 2011 और उससे पहले घटी ऐसी घटनाओं दिल्ली को दहला दिया था।
सितंबर 2011 : इससे पहले साल 2011 में इसी तरह का धमाका दिल्ली हाई कोर्ट की पार्किंग में हुआ था, जिसमें 11 लोग मारे गए थे, जबकि 80 से अधिक लोग जख्मी हो गए थे। आतंकियों ने मई 2011 में भी हाई कोर्ट के पास बम विस्फोट किया था। हालांकि इस धमाके में कोई हताहत नहीं हुआ था। यह हमला साल 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा को रद्द करने की मांग को लेकर किया गया था।
2008 के धमाके : आतंकियों ने 13 सितंबर 2008 को दीपावली के दिन दिल्ली में 30 मिनट के अंदर सिलसिलेवार 4 स्थानों-करोल बाग (गफ्फार मार्केट), कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश-I में धमाके कर दिल्ली को दहला दिया था। इन हमलों में कम से कम 20 लोग मारे गए थे और 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। धमाकों के बाद आतंकियों ने दिल्ली पुलिस को एक ईमेल भेजकर हमलों को रोक लेने की चेतावनी दी थी। यह ईमेल आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन की ओर से भेजने की बात कही गई थी। इसके बाद 27 सितंबर 2008 को मेहरौली के फ्लावर मार्केट में धमाका हुआ था। इसमें 3 लोग मारे गए थे, जबकि 23 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
14 अप्रैल 2006 : 14 अप्रैल 2006 में जामा मस्जिद परिसर में दो धमाके हुए थे, जिनमें 14 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के बाद आसपास की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
2005 में हुए तीन बड़े धमाके : आतंकियों ने साल 2005 में भी आतंकी वारदात के लिए दीपावली को चुना। आतंकियों ने दिवाली से एक दिन पहले 29 अक्टूबर को यहां तीन सिलसिलेवार बम धमाके किए। पहला धमाका 22 मई 2005 को हुआ था। जब लिबर्टी और सत्यं सिनेमा हॉल में दो धमाके हुए. इसमें एक व्यक्ति की मौत और 55 लोग घायल हुए। दूसरा धमाका गोविंदपुरी में DTC की एक बस में हुआ। दिवाली से पहले 29 अक्टूबर 2005 को एक आतंकी ने बस में अपना बैग सीट के नीचे रखकर धमाके को अंजाम दिया था। इसमें चार लोग घायल हुए। तीसरा धमाका दिल्ली की मशहूर सरोजिनी नगर मार्केट में शाम 6 बजे हुआ। इसमें 50 लोगों की मौत और 127 लोग घायल हुए थे।
2001 में संसद पर हमला : 13 दिसंबर 2001 को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद परिसर पर हमला किया था। इसमें सुरक्षाकर्मियों समेत 9 लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने सभी 5 आतंकियों को मार गिराया था।
साल 2000 के हमले : 6 जनवरी 2000 को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन में धमाका हुआ था। इसमें 20 लोग घायल हुए। 16 मार्च 2000 को दिल्ली के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक सदर बाजार में धमाका हुआ। इस धमाके में 7 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। घटना के समय आसपास काफी भीड़ इकट्ठा थी। 18 जून 2000 को भी लाल किला लहूलुहान हो गया था। उस दौरान दो ब्लास्ट हुए थे, जिनमें 8 साल की मासूम बच्ची समेत 2 लोगों की मौत हुई और 12 लोग घायल हुए थे।
1999 के धमाके : 3 जून 1999 को लाल किले और चांदनी चौक के बीच हुए धमाके में 27 लोग घायल हुए। इस विस्फोट ने पुरानी दिल्ली के सबसे व्यस्त इलाकों में अफरा-तफरी मचा दी थी।