कोलकाता : देश के एक बड़े हिस्से में लंच हो या डिनर थाली में रोटी के बिना भोजन अधूरा माना जाता है। वहीं ये भी सच है कि कुछ खास तीज त्योहारों और अन्य मौकों पर रोटी बनाने की मनाही होती है। दरअसल, हिंदू धर्म में भोजन को भी धर्म से जोड़ कर देखा जाता है, अन्न ही ब्रह्म है। रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है। ऐसी मान्यताओं के तहत भोजन और त्योहारों से जुड़े कुछ खास नियम होते हैं, जिनका सभी को पालन करना चाहिए।
नाग पंचमी पर रोटी क्यों नहीं बनाई जाती?
किन त्योहारों पर तवा चढ़ाने की मनाही है यानी किन खास मौकों पर आपको घर के चूल्हे में रोटियां नहीं सेकनी चाहिए। कुछ खास तिथियों की बात करें तो 21 अगस्त को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। नागपंचमी के अवसर पर भी घर में रोटी नहीं बनती है, क्यों होता है ऐसा आइए बताते हैं। नाग पंचमी पर तवे में खाना नहीं पकाना चाहिए। मान्यता के अनुसार रोटी बनाने के लिए जिस लोहे के जिस तवे का इस्तेमाल किया जाता है उसे नाग का फन माना जाता है। तवे को नाग के फन का प्रतिरूप माना गया है। इसलिए नागपंचमी के दिन आग पर तवा नहीं रखा जाता है।
नाग पंचमी पर ये काम भी वर्जित
ब्रह्मपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने सर्पों को नाग पंचमी के दिन पूजे जाने का वरदान दिया है। इस दिन नाग की पूजा का विधान है। इनकी पूजा से राहु-केतु जनित दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन कुछ और काम वर्जित हैं। जैसे- किसी भी काम के लिए जमीन की खुदाई न करें। इस दिन सिलाई, कढ़ाई नहीं करनी चहिए, क्योंकि नाग पंचमी पर नुकीली और धारदार चीजों जैसे चाकू, सूई का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है।
इन त्योहारों पर भी तवा चढ़ाना वर्जित
दिवाली के दिन भी रोटी नहीं बनानी चाहिए। ज्योतिषीय मान्यताओं के हिसाब से भी मां लक्ष्मी के त्योहारों में विशेष पकवान बनाने की परंपरा है। यही वजह है कि आज भी अधिकांश घरों में इन त्योहारों पर रोटी की जगह पूड़ी बनाई जाती है। इसी तरह से मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन घर में कच्ची रसोई नहीं बनानी चाहिए। इस दिन भी खीर-पूरी बनाने का नियम है। इसी तरह से शीतला अष्टमी पर शीतला मैया की पूजा होती है। माता को बासी भोजन से भोग लगाए जाता है। इस दिन घर में ताजी रोटियां बनाना वर्जित है।