

कोलकाता : विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ को गुरुवार को निलंबित कर दिया। इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये देश के लिए शर्मिंदगी है। तृणमूल कांग्रेस की चीफ बनर्जी ने कहा, "मैं यह जानकर स्तब्ध हूं कि यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया है। यह पूरे देश के लिए बेहद शर्मिंदगी की बात है। केंद्र सरकार ने शर्मनाक रूप से अहंकारी होकर और हमारी पहलवान बहनों की दुर्दशा के प्रति लापरवाही बरतकर उन्हें निराश किया है।"
उन्होंने कहा, "केंद्र और बीजेपी हमारी बहनों को मिसोजिनी और पुरुष वर्चस्व से परेशान करते रहे हैं। भारत को उन लोगों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और उन्हें दंडित करना चाहिए जिनमें कोई नैतिक संवेदना नहीं बची। हिसाब-किताब के दिन अब ज्यादा दूर नहीं है।"
क्या असर होगा?
यूडब्ल्यूडब्ल्यू के इस फैसले से भारतीय पहलवान आगामी विश्व चैंपियनशिप में भारतीय ध्वज तले नहीं खेल पाएंगे। भारतीय पहलवान 16 सितंबर से शुरू होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में तटस्थ खिलाड़ी के रूप में भाग लेंगे। भूपेंद्र सिंह बाजवा की अगुवाई वाले तदर्थ पैनल को 45 दिनों के अंदर चुनाव कराने की समय सीमा दी गई थी, लेकिन वह ऐसा नहीं करा सके। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने कुश्ती का कामकाज देखने के लिए 27 अप्रैल को इस पैनल की नियुक्ति की थी।
चुनाव क्यों नहीं हो सके?
डब्ल्यूएफआई के चुनाव सात मई को होने थे लेकिन खेल मंत्रालय ने इसे अमान्य करार दे दिया। चुनाव अधिकारी ने फिर डब्ल्यूएफआई का इलेक्शन 11 जुलाई को कराने का फैसला लिया, लेकिन असम कुश्ती संघ गुवाहाटी हाई कोर्ट चला गया। फिर कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी। आंध्र कुश्ती संघ ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। अदालत ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। चुनाव अधिकारी ने इसके बाद कहा कि डब्ल्यूएफआई के चुनाव 12 अगस्त को होंगे, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा कुश्ती संघ की याचिका पर रोक लगा दी।