नई दिल्ली : एक अच्छी नौकरी की ख्वाहिश किसकी नहीं होती। ऐसी नौकरी, जहां पैसा हो…सुकून हो और सेहत को किसी तरह का कोई रिस्क ना हो। लेकिन, कई बार हमें मालूम भी नहीं होता, कि हम जिस नौकरी में हैं, वो हमारे लिए कितनी खतरनाक है। ‘द सन’ की खबर के मुताबिक, अब एक ऐसी ही रिसर्च सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि महिलाओं के लिए वो सात नौकरियां कौन सी हैं, जहां उनके लिए ओवेरियन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। रिसर्च में बताया गया है कि इनमें सबसे पहली नौकरी है, हेयर ड्रेसर की। इस काम में केमिकल का इस्तेमाल होने से महिलाओं के लिए ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च के मुताबिक, उन महिलाओं को ओवेरियन कैंसर का रिस्क ज्यादा है, जो लंबे समय तक टैल्कम पाउडर, ब्लीच, डाई और स्प्रे कैन के संपर्क में रहकर काम करती हैं। हेयर ड्रेसर के तौर पर या ब्यूटी सैलून में 10 साल और उससे ज्यादा का वक्त बिताने वाली महिलाओं के लिए ये खतरा तीन गुना ज्यादा है।
इन नौकरियों में है अधिक रिस्क
- बार्बर
- ब्यूटीशियन
- कंस्ट्रक्शन वर्कर
- अकाउंटेंट
- कपड़े बनाने या कढ़ाई का काम
- सेल्स या रिटेल वर्कर
वहीं, रिसर्च में यह भी बताया गया है कि नर्स के तौर पर काम करने वाली महिलाओं के लिए ये खतरा कम है। आपको बता दें कि अकेले ब्रिटेन में हर साल करीब 7500 महिलाएं ओवेरियन कैंसर का शिकार होती है, जबकि इससे हर साल होने वाली मौतों का आंकड़ा 4100 है। यूके कैंसर रिसर्च के मुताबिक, ओवेरियन कैंसर होने की वजहों के बारे में कम समझ होने के कारण 10 में से 9 मामले ऐसे होते हैं, जिन्हें रोका ही नहीं जा सकता।
रिसर्च के लिए 491 महिलाओं के डेटा का इस्तेमाल
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मॉन्ट्रियल में प्रोफेसर डॉ. अनीता कौशिक ने बताया, ‘जो महिलाएं हेयरड्रेसिंग से संबंधित काम करती हैं, वो लगातार हेयर डाई, शैंपू, कंडीशनर, स्टाइलिंग और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में शामिल केमिकल के संपर्क में रहती हैं। इस रिसर्च के लिए, साल 2010 से 2016 के बीच कनाडा के मॉन्ट्रियल में ओवेरियन कैंसर से पीड़ित 491 महिलाओं के डेटा का इस्तेमाल किया गया।’
उन्होंने आगे बताया, ‘रिसर्च में इन महिलाओं के डेटा की तुलना उन 897 महिलाओं से की गई, जिन्हें कैंसर नही था और साथ ही उनकी नौकरी, मेडिकल हिस्ट्री और सामान्य सेहत का भी अध्ययन किया गया। गौर करने वाली बात ये है कि 18 केमिकल ऐसे हैं, जो सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, और कैंसर से उनके संबंध को लेकर इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर पहले ही इनकी जांच कर चुका है। इन केमिकल में अमोनिया, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, बालों की धूल, पॉलिएस्टर फाइबर, फॉर्मेल्डिहाइड, प्रोपेलेंट गैसें और पेट्रोल शामिल हैं।’