कोलकाता : 24 जुलाई 2023 के दिन सावन का तीसरा सोमवार व्रत रखा जाएगा। बता दें कि यह अधिक मास का पहला सोमवार व्रत होगा। ऐसे में इस विशेष दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास में सोमवार व्रत का पालन करें और शिवलिंग पर जल अर्पित करने से साधक को सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, श्रावण मास के तीसरे सोमवार के दिन किस विधि से करें, भगवान शिव की उपासना?
तृतीय सावन सोमवार 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास का तीसरा सोमवार व्रत श्रावण (अधिक) शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन पर शिव योग, रवि योग और हस्त नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। बता दें कि शिव योग दोपहर 02:52 बजे तक रहेगा, वहीं रवि योग सुबह 05:38 बजे से रात्रि 10:12 बजे तक रहेगा। इस दिन हस्त नक्षत्र रात्रि 10: 12 बजे तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिए गए इन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की उपासना करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
ऐसे करें पूजा
सावन मास के तीसरे सोमवार के दिन साधक सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गंगाजल से मंदिर को सिक्त करें। ऐसा करने के बाद शिवालय में भगवान शिव पर गंगाजल, दूध, पंचामृत, बेलप,त्र चंदन, अक्षत इत्यादि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को पंच फल और मिठाई अर्पित करें। इस दिन शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में शिवजी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। जल अर्पित करते समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करें।
लघु रुद्राभिषेक मंत्र
ॐ सर्वदेवेभ्यो नम :
ॐ नमो भवाय शर्वाय रुद्राय वरदाय च।
पशुनां पतये नित्यं उग्राय च कपर्दिने।।
महादेवाय भीमाय त्र्यंबकाय शिवाय च।
इशानाय मखन्घाय नमस्ते मखघाति ने।।
कुमार गुरवे नित्यं नील ग्रीवाय वेधसे।
पिनाकिने हविष्याय सत्याय विभवे सदा।
विलोहिताय धूम्राय व्याधिने नपराजिते।।
नित्यं नील शीखंडाय शूलिने दिव्य चक्षुषे।
हन्त्रे गोप्त्रे त्रिनेत्राय व्याधाय च सुरेतसे।।
अचिंत्यायाम्बिकाभर्त्रे सर्व देवस्तुताय च।
वृषभध्वजाय मुंडाय जटिने ब्रह्मचारिणे।।
तप्यमानाय सलिले ब्रह्मण्यायाजिताय च।
विश्र्वात्मने विश्र्वसृजे विश्र्वमावृत्य तिष्टते।।
नमो नमस्ते सत्याय भूतानां प्रभवे नमः।
पंचवक्त्राय शर्वाय शंकाराय शिवाय च।।
नमोस्तु वाचस्पतये प्रजानां पतये नमः।
नमो विश्र्वस्य पतये महतां पतये नमः।।
नमः सहस्त्र शीर्षाय सहस्त्र भुज मन्यथे।
सहस्त्र नेत्र पादाय नमो संख्येय कर्मणे।।
नमो हिरण्य वर्णाय हिरण्य क्वचाय च।
भक्तानुकंपिने नित्यं सिध्यतां नो वरः प्रभो।।
एवं स्तुत्वा महादेवं वासुदेवः सहार्जुनः।
प्रसादयामास भवं तदा शस्त्रोप लब्धये।।