

अंजू ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं। कचौड़ी बेचकर वह अपनी एक बेटी की शादी कर चुकी हैं। उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है, जो कॉलेज में पढ़ाई करता है। अपनी दिनचर्या के बारे में अंजू ने बताया कि वह सुबह तीन-चार बजे तक दुकान बंद करती हैं। इसके बाद सोती हैं, लेकिन दिन में 2 बजे जाग जाती हैं। बाजार से सामग्री एकत्र करके फिर 10 बजे रात तक दुकान लगा देती हैं।
अंजू की दुकान पर आलू का भर्ता भरकर बनाई गई कचौड़ी के साथ सोयाबीन- आलू की सब्जी और लहसुन की चटनी मिलती है। उन्होंने बताया कि वह 30 रुपये में चार कचौड़ी बेचती हैं, लेकिन कचौड़ी और सब्जी में वह अपने घर में ही बनाए गए मसालों का प्रयोग करती हैं।
2000 रुपए तक की कमाई
अंजू वर्मा कहती हैं कि वह 2000 रुपए तक की कमाई कर लेती हैं। वह एक रात में 1500 से 2000 रुपए की बिक्री कर लेती हैं। शहर में ही रहने वाले अभिनव गुप्ता एक सामाजिक संस्था चलाते हैं। वह 'कचौड़ी वाली अम्मा' की कचौड़ी के मुरीद हैं। वह उन्हें 2019 में मातृ शक्ति के रूप में सम्मानित भी कर चुके हैं। अभिनव बताते हैं कि कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान रात में खुलती है। इसलिए उनकी टीम के लोग बराबर अम्मा का ध्यान रखते हैं। बाहर खाने का मन होता है तो वह सिर्फ कचौड़ी वाली अम्मा की ही कचौड़ी खाते हैं। उनकी कचौड़ी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। मूल्य भी वाजिब है। वे कहते हैं, चार कचौड़ी में पेट भर जाता है।