मिलिये कचौड़ी वाली अम्मा से …

मिलिये कचौड़ी वाली अम्मा से …
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शाहजहांपुर: पति की मौत हो गई थी। संसार लुट जाने का एहसास दिल की गहराइयों में घर कर चुका था। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक एक घटना ने अंजु ने झकझोर कर रख दिया। काम के नाम पर करने को कुछ नहीं था। खाने-पीने की मुश्किलें होने लगीं। सामने चार बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी आ गई थी। ऐसे में उसने मुसीबत से हार जाने की जगह इससे लड़ने का फैसला किया गया। दिन में बाजार भरा रहता था। इतने पैसे नहीं कि कोई दुकान ही खोल दें। फिर दिमाग में ख्याल आया, क्यों न रात में दुकान खोली जाए। कचौड़ी की दुकान। रात 10 बजे से लेकर सुबह 3 बजे तक। दुकान लगाई तो पहले तो लोगों ने सोचा, क्या ही कारोबार होगा। जो पैसे लगे हैं, निकालने मुश्किल होंगे। लेकिन, आज के समय में अंजू वर्मा इलाके में कचौड़ी वाली अम्मा के नाम से जानी जाने लगी हैं। सुनहरी मस्जिद के पास उनकी दुकान रात 10 बजे से शुरू होती है। उनकी कचौड़ी का स्वाद लेने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
पति के कारोबार को आगे बढ़ाया
अंजु वर्मा की दुकान सुबह 3 से 4 बजे तक चलती रहती है। ग्राहक भी आ जाते हैं, इसलिए अधिक दिक्कत नहीं हुई। अंजू वर्मा कहती हैं कि पांच साल पहले उनके पति विनोद वर्मा की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गई। इसके बाद उनके सामने घर को चलाने की समस्या खड़ी हो गई थी। उनके पति भी कचौड़ी बेचते थे, लेकिन उनकी मौत के बाद एक महीने तक काम बंद रहा। घर में खाने-पीने की चीजें जुटाना एक मुसीबत बन गई। इसके बाद अंजू ने अपने पति के काम को अपना लक्ष्य बना लिया। अब जब बाजार में दुकानें बंद हो जाती हैं, तब अंजू का कचौड़ी कारोबार शुरू होता है।
आखिर क्यों रात के समय करती है कारोबार
रात में दुकान उन्होंने किसी वजह से नहीं, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति के कारण लगाना शुरू किया। उन्होंने रात में दुकान लगाने की एक वजह बताई कि उनके पास कोई अपनी जगह नहीं है। रात में दुकानदारों के चबूतरे खाली होते हैं। उन्होंने कहा कि रात में सड़क पर खड़े होकर कचौड़ी खाने वालों में शिक्षक, पुलिसकर्मी, व्यापारी और नेता सहित सभी वर्गों के लोग शामिल होते हैं।
एक बेटी की कर चुकी है शादी

अंजू ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं। कचौड़ी बेचकर वह अपनी एक बेटी की शादी कर चुकी हैं। उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है, जो कॉलेज में पढ़ाई करता है। अपनी दिनचर्या के बारे में अंजू ने बताया कि वह सुबह तीन-चार बजे तक दुकान बंद करती हैं। इसके बाद सोती हैं, लेकिन दिन में 2 बजे जाग जाती हैं। बाजार से सामग्री एकत्र करके फिर 10 बजे रात तक दुकान लगा देती हैं।
अंजू की दुकान पर आलू का भर्ता भरकर बनाई गई कचौड़ी के साथ सोयाबीन- आलू की सब्जी और लहसुन की चटनी मिलती है। उन्होंने बताया कि वह 30 रुपये में चार कचौड़ी बेचती हैं, लेकिन कचौड़ी और सब्जी में वह अपने घर में ही बनाए गए मसालों का प्रयोग करती हैं।
2000 रुपए तक की कमाई
अंजू वर्मा कहती हैं कि वह 2000 रुपए तक की कमाई कर लेती हैं। वह एक रात में 1500 से 2000 रुपए की बिक्री कर लेती हैं। शहर में ही रहने वाले अभिनव गुप्ता एक सामाजिक संस्था चलाते हैं। वह 'कचौड़ी वाली अम्मा' की कचौड़ी के मुरीद हैं। वह उन्हें 2019 में मातृ शक्ति के रूप में सम्मानित भी कर चुके हैं। अभिनव बताते हैं कि कचौड़ी वाली अम्मा की दुकान रात में खुलती है। इसलिए उनकी टीम के लोग बराबर अम्मा का ध्यान रखते हैं।  बाहर खाने का मन होता है तो वह सिर्फ कचौड़ी वाली अम्मा की ही कचौड़ी खाते हैं। उनकी कचौड़ी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। मूल्य भी वाजिब है। वे कहते हैं, चार कचौड़ी में पेट भर जाता है।

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