बगैर आरती के आपकी पूजा मानी जाती है अधूरी, जानें आरती करने का सही नियम | Sanmarg

बगैर आरती के आपकी पूजा मानी जाती है अधूरी, जानें आरती करने का सही नियम

कोलकाता : हिंदू धर्म में ईश्वर की पूजा का बहुत महत्व है। मान्यता के अनुसार यदि आप प्रतिदिन एक निश्चित समय पर अपने आराध्य देवी-देवता की विधि-विधान से पूजा करते हैं तो आप पर ईश्वर की पूरी कृपा बरसती है। लेकिन सनातन परंपरा के अनुसार बगैर आरती के आपकी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में अपने आराध्य की प्रतिदिन दीया जलाकर आरती अवश्य करना चाहिए। आइए ईश्वर की आरती को करने का सही नियम और उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

ऐसे करें देवी-देवताओं की आरती

देवी-देवताओं की आरती करते समय आप अपनी विश्वास, श्रद्धा या फिर पूजा के उपाय के अनुसार दीये का चयन कर सकते हैं। मसलन, आप एक बाती वाला या फिर पांच या फिर सात बाती वाला दीया चुन सकते हैं। इसी प्रकार आप अपने देवी या देवता के अनुसार तेल या घी का दीया जलाएं। घर या मंदिर में पूजा करते समय अपने आराध्य के पैरों की ओर चार बार, नाभि की ओर दो बार और अंतिम में उनके मुख की ओर एक बार घुमाकर आरती पूरा करें।

कब करें पूजा में आरती

ईश्वर की आरती हमेशा पूजा के अंत में किया जाता है। इसके अलावा आप अपनी सुबह-शाम की पूजा में भी दैनिक रूप से एक निश्चित समय पर आरती कर सकते हैं। हालांकि यदि संभव हो तो आप एक दिन में पांच बार आरती कर सकते हैं।

तब बैठकर भी कर सकते हैं आरती

ईश्वर की पूजा में आरती हमेशा खड़े होकर करने का विधान है, लेकिन विशेष परिस्थिति में आप आरती को बैठकर भी कर सकते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि आप शारीरिक रूप से खड़े होने में अक्षम हैं या फिर बीमार हैं तो आप ईश्वर से क्षमा मांगते हुए बैठकर आरती कर सकते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से की गई आरती सभी दु:खों को तारकर देवी-देवताओं से मनचाहा वरदान दिलाती है।

याद रखें आरती के ये नियम

आरती करने के बाद सीधे ही भक्त या फिर किसी अन्य व्यक्ति को आरती नहीं लेनी चाहिए। आरती करने के बाद सबसे पहले उसके ऊपर से जल वार कर गिराना चाहिए। इसके बाद पूजा के पवित्र जल को सभी पर छिड़कना चाहिए। इसके बाद सबसे पहले आरती करने वाले व्यक्ति को आरती लेना चाहिए फिर उसे सभी लोगों को आरती लेने के लिए आगे बढ़ाना चाहिए।

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