कोलकाता : हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवंगनम और जस्टिस उदय कुमार के डिविजन बेंच में बुधवार को कंटेंप्ट के मामले में बीएसएफ के आईजी नोडल अफसर की तरफ से 558 पन्नों की एक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट पर गौर करने के बाद चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग की जम कर क्लास ली। कहा कि बेहद निराशाजनक तस्वीर उभर कर सामने आई है। चुनाव आयुक्त से कहा कि वे रिपोर्ट के एक-एक पन्ने को पढ़े। चुनाव आयोग और राज्य सरकार को इस बाबत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।यहां गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने चुनाव बाद भी दस दिनों तक सेंट्रल फोर्स को बहाल रखने का आदेश दिया था।इस बाबत चुनाव आयोग की तरफ से कोई पहल नहीं की जाने पर चीफ जस्टिस ने फटकार लगाते हुए कहा कि हम ही आदेश देते हैं। इसके बाद आदेश दिया कि राज्य सरकार के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह सचिव और आईजी कानून व्यवस्था बीएसएफ के आईजी व नोडल अफसर सतीश चंद्र बुधाकोटी के साथ बुधवार को ही बैठक करेंगे और सेंट्रल फोर्स की तैनाती के बाबत फैसला लेंगे।
सवालों की झड़ी ही लगा दी
सभी जिले के अफसरों को सेंट्रल फोर्स के साथ पूरा सहयोग करने का आदेश दिया जाए। एडिशनल सालिसिटर जनरल अशोक कुमार चक्रवर्ती ने रिपोर्ट पेश करते हुए कुछ पन्नों पर गौर करने की अपील की। रिपोर्ट में चुनाव से पहले और चुनाव के बाद चुनाव आयोग द्वारा क्या किया गया इसका पूरा ब्योरा है। इसके बाद तो चीफ जस्टिस ने सवालों की झड़ी ही लगा दी। बहुत से क्षेत्रों में तो सेंट्रल फोर्स को बैरक में बिठा कर रखा गया। त्रिपुरा से चार सौ किलोमीटर का सफर कर के सेंट्रल फोर्स के जवान आए थे पर उन्हें वापस भेज दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंट्रल फोर्स तैनात किए जाने के बाबत बार-बार अपील करने के बावजूद चुनाव आयोग का कोई जवाब नहीं मिला था।
चुनाव आयोग का कोई जवाब नहीं मिला
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम ने तो केंद्र सरकार और राज्य को एक साथ काम करने का आदेश दिया था और यही इसका नमूना है। संवेदनशील क्षेत्रों के बाबत बार-बार पूछे जाने के बावजूद चुनाव आयोग का कोई जवाब नहीं मिला। चीफ जस्टिस ने कहा कि सेंट्रल फोर्स की चार-पांच सौ कंपनियां आएंगी पर उनके आने और ठहरने के बाबत कोई इंतजाम नहीं किया गया। चीफ जस्टिस ने चेताते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर अपराध है। हम इस फैसले पर पहुंचे हैं कि चुनाव आयोग ने इरादतन हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह मुनासिब है कि कोई आदेश देने से पहले आयोग और राज्य को जवाब देने का मौका दिया जाए। लिहाजा उन्हें एफिडेविट दाखिल करना पड़ेगा और अगली सुनवायी 20 जुलाई को होगी।