कोलकाता : हरियाली तीज आज यानी 19 अगस्त को मनाई जा रही है। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा करती है। कुछ स्थानों पर कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर पाने के लिए भी तीज का व्रत करती है। हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और सावन के लोकगीत गाकर इस त्योहार की खुशियां मनाती है। आइए जानते हैं हरियाली तीज का मुहूर्त, सही पूजा विधि और संपूर्ण जानकारी।
हरियाली तीज पर बहुत शुभ योग का संयोग
हरियाली तीज पर सुबह से लेकर रात 09:19 तक सिद्ध योग रहेगा। इसके बाद साध्य योग बनेगा, जो कि अगले दिन सुबह तक रहेगा। वहीं रवि योग देर रात 1:47 मिनट से शुरू होगा और अगले दिन 20 अगस्त को सुबह 5:53 पर खत्म होगा। इसके अलावा इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है, जो सुबह से लेकर देर रात 01:47 तक है।
इस दिन कन्या राशि में चंद्रमा, मंगल और शुक्र की युति से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा जो व्रती को धन और करियर में लाभ पहुंचाएगा। वहीं सिंह राशि में सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा। इस दिन बनने वाला सिद्ध योग से व्रती की पूजा, मंत्र आदि सिद्ध होंगे
पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हरियाली तीज की पूजा के लिए 3 शुभ मुहूर्त के योग बन रहे हैं। इस दिन आप सुबह 07:30 मिनट से 09:08 मिनट तक पूजा कर सकते हैं। इसके बाद आप दोपहर 12:25 मिनट से शाम 05:19 मिनट कर शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन साफ-सफाई करके घर को तोरण और मंडप से सजाएं।
एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, श्री गणेश, मां पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा का निर्माण करें।
सभी देवी-देवताओं की मिट्टी की प्रतिमा बनाने के उपरांत सुहाग की समस्त सामग्री को एक थाली में एकत्रित करें और माता पार्वती को अर्पित करें।
मां पार्वती के बाद भगवान शंकर को वस्त्र अर्पण करें, इसके बाद देवताओं का ध्यान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
अंत में हरियाली तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। हरियाली तीज व्रत की पूजा पूरी रात चलती है। इस दौरान महिलाओं द्वारा जागरण और कीर्तन भी किये जाते है।
पूजा का महत्व
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हरियाली तीज को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 जन्मों तक कठोर तप किया था। इस कठोर तप के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि ये हरियाली तीज के दिन अर्थात श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हुआ था।
इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती के पूजन से सुहागिन स्त्रियों को सौभाग्यपूर्ण जीवन और उनके पतियों को लंबी आयु की प्राप्ति होती है। हरियाली तीज के दिन कुंवारी कन्याएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती है, वहीं सुहागिन महिलाओं द्वारा निर्जला व्रत किया जाता है।
हरियाली तीज पर हरे रंग का करें इस्तेमाल
इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है इसलिए इस दिन हरी साड़ी के साथ हरी चूड़ियां भी पहनने का प्रचलन है। हरा रंग शिव को प्रिय है इससे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इससे परिवार में खुशहाली आती है। हरियाली तीज का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस पर्व को नाग पंचमी से दो तिथि पूर्व मनाया जाता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता पार्वती के साथ गणेश जी और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
शिव-शक्ति के मिलन का प्रतीक
हरियाली तीज सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं। महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं। हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं। यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं। यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का पर्व हैं। हरियाली तीज का जब पर्व आता है तो हर तरफ हरियाली छा जाती हैं। पेड़ पौधे उजले उजले नजर आने लगते हैं। हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं।
पति की लंबी उम्र के लिए खास है ये व्रत
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त शुक्रवार रात 8:01 मिनट से शुरू हो रही है और 19 अगस्त शनिवार रात 10:19 मिनट पर समाप्त होगी। हरियाली तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह वह दिन है जब देवी ने शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस व्रत को रखने से स्त्री के पति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है।
हरियाली तीज की परंपरा
- हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं को ससुराल से मायके बुलाया जाता है। हरियाली तीज से एक दिन पूर्व सिंधारा मनाने की परम्परा है। इस दिन ससुराल पक्ष से नवविवाहित स्त्रियों को वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई आदि भेजी जाती है।
- इस तीज के अवसर पर मेहंदी लगाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं, साथ ही हरियाली तीज पर पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह सुहागिन महिलाओं की सुहाग की निशानी मानी गई है।
- इस दिन महिलाओं को मायके से आने वाले वस्त्र ही धारण करने चाहिए, साथ ही मायके से आई हुई शृंगार की वस्तुओं का ही प्रयोग करना चाहिए।
- हरियाली तीज के दिन सुहागिन स्त्रियां अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर सास नहीं हो तो सुहागा जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दिया जा सकता है। इस अवसर पर महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से मां पार्वती की पूजा करती हैं।
- हरियाली तीज के दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नृत्य करती हैं। नवविवाहित स्त्रियों के लिए ये त्योहार अत्यंत विशेष माना गया है।
तीज के त्यौहार को साल में तीन बार मनाया जाता है जो इस प्रकार है: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज।