होना चाहता अपने पैरों पर खड़ा, पुलिस में जाने का है सपना
खड़दह : कोविड काल ने जहां लोगों से उनके अपनों को छीन लिया, वहीं कइयों का जीवन भी बदलकर रख डाला। ऐसे ही लोगों में खड़दह का कृष्णा यादव भी है। छोटा-मोटा काम करने वाले उसके माता-पिता ने काम खो दिया और एक दिन ऐसा भी आया जब एक सुबह कृष्णा ने पाया कि उसके पास कोई नहीं था। इसके बाद से ही कृष्णा अपने जीवन की लड़ाई अकेला खुद लड़ा रहा है। 14 साल का कृष्णा खड़दह के सुखचर केदारनाथ मेमोरियल हाई स्कूल में 9वीं में पढ़ता है। दिन में स्कूल जाता और फिर शाम से रात तक रोटी रोजी के लिए स्टेशन परिसर, बाजारों में बच्चों के लिए खिलौने बेचता है। शर्मीले स्वभाव के कृष्णा के पड़ोसियों का कहना है कि इस छोटी से उम्र में उसकी खुद्दारी भी लोगों को चकित कर देती है। किसी के दिये रुपये या अच्छा खाना देने पर वह उनसे साफ कह देता है कि वह उसके लिए नहीं है। उसे मेहनत करके कुछ पाना है। उसे साथ चाहिए मदद नहीं। पहले स्कूल के आसपास ही उसका निवास स्थान था मगर अब जयप्रकाश नगर में एक छोटे से कमरे में 1100 महीने के किराये पर रहता है। कृष्णा पुलिस में जाने के सपने देखता है। उसका कहना है कि पुलिसवालों को उसने लोगों की मदद करते हुए देखा है। यह देखा है कि पुलिस वालों से लोग अच्छे से पेश आते हैं और यही कारण है कि उसने पढ़ाई-लिखाई कर पुलिस में भर्ती होना ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया है। दिन में स्कूल में मिलनेवाला मिड डे मील और फिर खिलौने बेचकर मिले पैसों से किराया और रात के खाने का इंतजाम करना यह उसकी रोज की लड़ाई है मगर इस पर भी उसके चेहरे पर कोई हताशा नहीं दिखती। वह पूरे जोश से कहता है पढ़ाई-लिखाई करूंगा तो जरूर सब कुछ कर पाऊँगा। उसके स्कूल शिक्षक कृष्णा साव ने कहा कि वह मेहनती है, पढ़ाई-लिखाई के अनुकूल माहौल नहीं मिलने पर भी जो भी समय उसे स्कूल में पढ़ने को मिलता है, वह पूरी मेहनत करता है। वह आज कल के उन किशोरों के लिए मिसाल है जो मोबाइल नहीं मिलने, या फिर अपने मनमुताबिक चीजों के नहीं होने पर खुदकुशी कर लेते हैं। कृष्णा ने बताया कि खिलौने बेचकर उसे दिन में 100 से 150 रुपये मिल जाते हैं। जब सन्मार्ग की टीम उससे मिलने पहुंची तो वह एक पंखे के पुर्जों को जोड़ रहा था। उससे कहा गया कि वह क्याें ना किसी मकैनिक को बुला लेता है, इस पर कृष्णा ने कहा कोशिश कर रहा हूं, कर लूंगा थोड़ा समय जरूर लगेगा। कृष्णा की छोटी मोटी मदद करने वाले समाजसेवी दिव्येंदु चौधरी ने बताया कि कुछ लोगों ने मदद के नाम पर उसे घर ले जाकर उससे काम भी करवाया यही हमारे समाज की विडंबना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के लिए ही उसका संघर्ष है अतः जरूरी है कि उसे समाज में अच्छा मौका मिले।
कोविड काल में अकेला छोड़कर चले गये माता-पिता, घूम-घूमकर खिलौने बेच रहा है 14 साल का कृष्णा
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