हम देश के कानून का सम्मान करते हैं : एआईएफएफ

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने शनिवार को कहा कि वे भारतीय फुटबॉल में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं लेकिन उसे देश के कानून का भी सम्मान करना होगा।
फाइल फोटो
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नयी दिल्ली : अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने शनिवार को कहा कि वे भारतीय फुटबॉल में इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं लेकिन उसे देश के कानून का भी सम्मान करना होगा। एआईएफएफ ने यह प्रतिक्रिया इसलिए की है क्योंकि इससे एक दिन पहले ही आईएसएल ने घोषणा की थी कि उसने आयोजकों और फुटबॉल महासंघ के बीच मास्टर राइट्स एग्रीमेंट (एमआरए) के नवीनीकरण को लेकर अनिश्चितता के कारण 2025-26 सत्र को स्थगित कर दिया है। देश की शीर्ष स्तरीय फुटबॉल लीग आमतौर पर सितंबर से अप्रैल तक चलती है। आईएसएल का आयोजन करने वाली ‘फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड’ (एफएसडीएल) और एआईएफएफ के बीच मौजूदा एमआरए (मास्टर अधिकार समझौता) आठ दिसंबर 2025 को समाप्त होने वाला है।

तब तक आईएसएल का तीसरा महीना शुरू हो जाएगा। एफएसडीएल ने आईएसएल के सभी क्लबों को लिखे पत्र में कहा, ‘दिसंबर के बाद किसी निश्चित अनुबंधीय समझौते के अभाव में हम 2025-26 आईएसएल सत्र की प्रभावी योजना बनाने, इसे आयोजित करने या इसका व्यवसायीकरण करने में असमर्थ हैं।’ इसमें कहा गया, ‘इस स्थिति को देखते हुए हमें आपको यह बताते हुए खेद हो रहा है कि हम वर्तमान में 2025-26 आईएसएल सत्र को आगे बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं और मौजूदा एमआरए अवधि के अंत के बाद अनुबंधीय रूपरेखा पर और स्पष्टता आने तक इसे स्थगित कर रहे हैं।’ एआईएफएफ ने एफएसडीएल के निर्णय के जवाब में बयान जारी कर कहा कि वह कानून के दायरे में लीग को बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करेगा।

देश की सर्वोच्च फुटबॉल संस्था ने बयान में कहा, ‘एआईएफएफ न केवल देश में फुटबॉल संरचना के लिए, बल्कि सभी क्लबों, खिलाड़ियों, सहयोगी कर्मचारियों, अधिकारियों और प्रशंसकों के लिए आईएसएल के महत्व को अच्छी तरह से समझता है और इसका आयोजन नहीं होने से पैदा होने वाली चुनौतियों से भी अवगत है। लेकिन इसके साथ ही एआईएफएफ देश के कानून और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का सम्मान करता है।’ उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद एआईएफएफ को एआईएफएफ मसौदा संविधान मामले में अंतिम फैसला आने तक आईएसएल चलाने वाली शीर्ष संचालन संस्था के वाणिज्यिक साझीदार (एफएसडीएल) के साथ एमआरए की नई शर्तों पर बातचीत नहीं करने के लिए कहा गया है।

एआईएफएफ ने कहा कि एफएसडीएल के साथ उसकी बातचीत समय पर शुरू हो गई थी और संबंधित पक्षों द्वारा प्रस्तावों का आदान-प्रदान भी किया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद चर्चा स्थगित कर दी गई। मास्टर अधिकार समझौते के तहत अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने 21 नवंबर, 2024 को एफएसडीएल के साथ संभावित नवीनीकरण की शर्तों पर बातचीत की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद एआईएफएफ और एफएसडीएल के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने इस साल पांच फरवरी को नई दिल्ली और पांच मार्च को मुंबई में बैठक बुलाई थी।एआईएफएफ ने आश्वासन दिया कि सभी हितधारकों के हितों की रक्षा की जाएगी और खेल को नुकसान नहीं होगा।

बयान के अनुसार, ‘एआईएफएफ और उसके हितधारक भारतीय फुटबॉल के सर्वोत्तम हित में आईएसएल को बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करेंगे। हम सभी हितधारकों से समझदारी से कदम उठाने का अनुरोध करते हैं।’ एफएसडीएल एआईएफएफ का वाणिज्यिक साझीदार भी है और उन्होंने 2010 में 15 साल के एमआरए पर हस्ताक्षर किए थे। एफएसडीएल एमआरए के अनुसार एआईएफएफ को सालाना 50 करोड़ रुपये का भुगतान करता है और बदले में उसे भारतीय फुटबॉल के प्रसारण, प्रबंधन और व्यावसायीकरण के अधिकार मिलते हैं जिसमें राष्ट्रीय टीम भी शामिल है। एफएसडीएल से मिलने वाली राशि महासंघ के संचालन और विकास संबंधी पहल में मदद करती है। एफएसडीएल ने पहले आईएसएल क्लब मालिकों को मौखिक रूप से बताया था कि एमआरए पर स्पष्टता होने तक अगला चरण शुरू नहीं होगा।

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