वापसी की राह पर सौरभ चौधरी

अपनी नींद गंवाने की जगह कदम दर कदम आगे बढ़ना चाहेंगे
वापसी की राह पर सौरभ चौधरी
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नयी दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो साल के अंतराल के बाद वापसी कर रहे भारतीय पिस्टल निशानेबाज सौरभ चौधरी ने कहा कि वह पदक जीतने, लक्ष्य निर्धारित करने और उम्मीदों को पूरा करने के लिए अपनी नींद गंवाने की जगह कदम दर कदम आगे बढ़ना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि वह अतीत में भी इन चीजों को लेकर परेशान नहीं थे। भारतीय निशानेबाजी में सबसे तेजी से उभरते युवा से लेकर खराब फॉर्म के कारण गुमनामी में जाने तक इस 22 साल के निशानेबाज ने कम समय में करियर में बड़ा उतार चढ़ाव देखा है। उन्होंने हाल ही में ब्यूनस आयर्स और लीमा में आईएसएसएफ विश्व कप में क्रमश: कांस्य और स्वर्ण पदक जीतकर शीर्ष स्तर की निशानेबाजी में शानदार वापसी की है।

उन्होंने प्रतिभाशाली सुरूचि सिंह के साथ मिलकर दक्षिण अमेरिका में 10 मीटर मिश्रित टीम एयर पिस्टल प्रतियोगिता में कांस्य और स्वर्ण पदक जीता, जबकि लीमा में 10 मीटर व्यक्तिगत एयर पिस्टल स्पर्धा में तीसरा स्थान भी हासिल किया। आमतौर पर शांत रहने वाले इस निशानेबाज ने सुर्खियों से दूर मेरठ में गुमनामी में मेहनत के साथ राष्ट्रीय टीम में वापसी की है। चौधरी ने सुरूचि के साथ मिलकर स्वर्ण पदक जीतने के बाद लीमा से कहा, ‘मैंने बस कड़ी मेहनत की और कभी-कभी तकनीकी रूप से भी पिस्टल के साथ प्रयोग किया। मैंने भविष्य के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है और मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि दूसरे मुझसे क्या उम्मीद कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ और अच्छी निशानेबाजी करना चाहता हूं और लगातार सुधार करना चाहता हूं। जब मैं टीम का हिस्सा नहीं था, तो मुझे समझ नहीं आता था कि मेरे साथ क्या गलत था। लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदलने लगी और अब समरेश सर (भारतीय टीम के कोच) अभ्यास सत्र के दौरान मेरी मदद कर रहे हैं।’ चौधरी ने 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही विश्व रिकॉर्ड भी तोड़ा और उसी वर्ष युवा ओलंपिक में शीर्ष स्थान हासिल कर निशानेबाजी जगत में हलचल मचा दी थी। आईएसएसएफ विश्व कप और विश्व चैंपियनशिप सहित शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में लगातार सफलता के कारण उन्हें तोक्यो ओलंपिक में देश की सबसे बड़े पदक संभावना के रूप में देखा गया।

टोक्यो ओलंपिक से भारतीय निशानेबाज हालांकि खाली हाथ लौटे लेकिन चौधरी देश के एकमात्र निशानेबाज थे जो फाइनल में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ‘मुझे एनआईएआई के ट्रायल (दिसंबर 2023) में पहली बार महसूस हुआ कि मैं लय हासिल कर रहा हूं। इसके बाद दूसरे प्रशिक्षण (जनवरी 2024 में) के दौरान मुझे आत्मविश्वास महसूस होने लगा।’ चौधरी भारतीय निशानेबाजी की वर्तमान स्थिति और कोचिंग व्यवस्था से बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास कुछ बहुत अच्छे युवा निशानेबाज हैं जिन्होंने हाल के दिनों मे अपनी प्रतिभा से प्रभावित किया है। अब बहुत सारे कोच हैं और व्यवस्था मजबूत है।’

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