

नयी दिल्ली : भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जमा करने के आरोप में 11 पहलवानों को निलंबित कर दिया है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने ऐसे 110 दस्तावेजों का सत्यापन किया और कहा कि उसकी ओर से कोई चूक नहीं हुई है क्योंकि 95 विलंबित पंजीकरण केवल एसडीएम के आदेश पर किए गए थे। कुश्ती का खेल दो प्रमुख मुद्दों से जूझ रहा है। अधिक उम्र के पहलवान कम आयु वर्ग की प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं और कई पहलवान फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद अपने निवास स्थान से अलग राज्य का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश कर रहे हैं।
कुछ मामलों में प्रमाण पत्र बच्चे के जन्म के 12 से 15 साल बाद भी जारी किए गए हैं। गड़बड़ी की आशंका के चलते डब्ल्यूएफआई ने नगर निगम को सत्यापन के लिए प्रमाण पत्रों की एक सूची प्रदान की थी। सत्यापन के बाद एमसीडी ने डब्ल्यूएफआई को जवाब दिया कि उसने जन्म प्रमाण पत्र जारी किए हैं लेकिन यह भी कहा कि विलंबित पंजीकरण (जन्म के एक वर्ष बाद पंजीकरण) सीधे तौर पर उसके द्वारा नहीं बल्कि एसडीएम के आदेश पर किया गया है।
कई प्रतियोगिताओं में, विशेष रूप से राष्ट्रीय जूनियर टीमों के चयन के लिए हुए ट्रायल में, यह स्पष्ट है कि कई पहलवान कम आयु वर्ग में प्रवेश कर चुके हैं और अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ फायदे की स्थिति में हैं। हरियाणा कुश्ती का गढ़ है इसलिए वहां प्रतिस्पर्धा बहुत कड़ी है और राज्य की टीम में जगह बनाना दिन-ब-दिन और भी मुश्किल होता जा रहा है।
कुश्ती में करियर बनाने के इच्छुक कई पहलवान नकली प्रमाणपत्र हासिल करके पड़ोसी राज्य दिल्ली के रास्ते खेले में आने की कोशिश करते हैं। डब्ल्यूएफआई ने पाया कि कई पहलवान मूल रूप से हरियाणा के थे लेकिन फिर भी उन्होंने किसी तरह एमसीडी से जन्म प्रमाण पत्र जारी करवा लिए जिससे कि वे दिल्ली से प्रतियोगिताओं में भाग ले सकें।